बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोरबा में फ्लाई ऐश परिवहन से जुड़ी समस्याओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए एनटीपीसी, एसईसीएल, बाल्को सहित कई कंपनियों को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि भारी वाहनों की आवाजाही से सड़कों की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है, जिससे न केवल प्रदूषण और ट्रैफिक जाम बढ़ रहा है बल्कि लोगों की जान को भी खतरा बना हुआ है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिविजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अब तक इन कंपनियों द्वारा उठाए गए कदम सिर्फ अस्थायी उपाय हैं। अदालत ने साफ कहा कि जब तक स्थायी सड़क निर्माण और फ्लाई ऐश परिवहन के लिए ठोस योजना नहीं बनाई जाएगी, तब तक यह समस्या बार-बार लौटती रहेगी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि माणिकपुर माइंस और आसपास के इलाकों की सड़कों पर उड़ती राख, कीचड़ और गहरे गड्ढों के कारण आवागमन बेहद खतरनाक हो गया है। इन सड़कों पर भारी ट्रकों के कारण दिनभर धूल और प्रदूषण फैला रहता है, जिससे आसपास के गांवों के लोगों का जीवन दूभर हो गया है।
अदालत ने लोक निर्माण विभाग (PWD) को आदेश दिया है कि वह प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी सड़क निर्माण की योजना तैयार करे और अपने सचिव के माध्यम से प्रगति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करे। अदालत ने स्पष्ट कहा कि सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर समझौता नहीं होना चाहिए और यह काम समयबद्ध रूप से पूरा किया जाए।
हाईकोर्ट ने बाल्को के सीएमडी को दो हफ्तों के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है, जिसमें यह बताया जाए कि अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और भविष्य में क्या प्रस्तावित हैं।
इसी तरह, एनटीपीसी के चेयरमैन को भी यह बताने के लिए कहा गया है कि फ्लाई ऐश परिवहन मार्ग में किए गए बदलाव से नई जगह पर पर्यावरण या जनता को कोई असुविधा न हो, इसके लिए उन्होंने क्या व्यवस्था की है।
कोर्ट ने SECL, NTPC, BALCO, लैंको अमरकंटक पावर लिमिटेड, राज्य सरकार, पर्यावरण संरक्षण बोर्ड और नगर निगम कोरबा को दो सप्ताह के भीतर एक संयुक्त बैठक करने का आदेश दिया है। बैठक में फ्लाई ऐश प्रबंधन, सड़क रखरखाव और पर्यावरण सुरक्षा के लिए स्थायी योजना तैयार की जाएगी।
अदालत ने इस मामले में अब नगर निगम कोरबा को भी पक्षकार बनाया है ताकि शहरी क्षेत्र में फैले फ्लाई ऐश और सड़क जाम की समस्या का प्रभावी समाधान निकाला जा सके।
हाईकोर्ट ने सर्गांव क्षेत्र में सरकारी जमीन पर बने ढाबे को हटाने के पूर्व आदेश की याद दिलाते हुए कहा कि प्रशासन इसे तुरंत खाली कराए। अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अदालत ने सभी विभागों और कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे प्रगति रिपोर्ट और प्रमाणिक दस्तावेजों के साथ हलफनामा दाखिल करें। इस मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर 2025 को होगी, जिसमें अदालत सभी पक्षों की प्रगति की समीक्षा करेगी।




