Wednesday, September 10, 2025
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3 रुपये की सिरिंज निजी अस्पताल में हो जाती है 50 की

गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में डेंगू मरीज के बिल में प्रति सिरिंज 1200 रुपये से ज्यादा की कीमतें लिखी मिली थीं। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने भी इसकी पुष्टि की है। इसके बाद सर्जिकल आइटम्स पर एक बार फिर सरकार के नियंत्रण की मांग होने लगी है।  जब दवा बाजार में इसकी पड़ताल की गई तो हकीकत चौकाने वाली थी। जिस सिरिंज की थोक में कीमत करीब 3 रुपये है। वह प्राइवेट अस्पताल पहुंचने तक 50 रुपये की हो जाती है।

द दवा विक्रेताओं का कहना है कि सिरिंज के कारोबार में सबसे ज्यादा लाभ निजी अस्पतालों को होता है। निजी अस्पताल कम मूल्य में सिरिंज खरीदते हैं, लेकिन मरीजों से एमआरपी पर पैसा वसूलते हैं। बहरहाल, एनपीपीए ने हाल ही में सिरिंज निर्माता कंपनियों के साथ एक बैठक की है। इसमें कीमतें निर्धारण के लिए सभी कंपनियों ने सहमति दे दी है।

इस तरह करते हैं कमाई 

जानकारों के अनुसार, 10 एमएल सिरिंज का अस्पताल 21 रुपये तक मूल्य वसूलता है, जबकि थोक में इसकी कीमत 3.25 रुपये है। पांच एमएल की सिरिंज में करीब 600 प्रतिशत की मार्जिन होता है। थोक में पांच एमएल की सिरिंज 1.51 रुपये में मिलती है, जबकि खुदरा में 10.50 रुपये में बिकती है। अस्पताल में इसके 14 रुपये तक लिए जाते हैं। तीन एमएल की सिरिंज थोक में 1.25 रुपये में मिलती है, लेकिन खुदरा में 7.50 रुपये में बिकती है यानी इस पर 500 प्रतिशत की मार्जिन होती है। दो एमएल की सिरिंज थोक में 1.22 रुपये में मिलती है, जबकि खुदरा में यह 6.50 रुपये में बिकती है। अस्पताल में इसका 9.50 रुपये लिया जाता है।

एक-दूसरे को कोसने में जुटे 

सिरिंज को लेकर सब एक-दूसरे को कोसने में जुटे हैं। थोक विक्रेताओं की मानें तो उन्हें मुनाफा कम होता है, लेकिन खुदरा विक्रेताओं को कई गुना कीमतें बढ़ने से फायदा होता है। जबकि खुदरा कारोबारियों के मुताबिक, उनके यहां से एक या दो रुपये के अंतर से सिरिंज जाती है, पूरा खेल निजी अस्पताल पहुंचकर होता है। जहां इसका मार्जिन कई सौ गुना बढ़ जाता है।

क्या बोले डॉक्टर

यह सच है कि सिरिंज में काफी मुनाफाखोरी है, लेकिन सिरिंज के अलावा हर तरह के सर्जिकल आइटम्स पर मूल्य निर्धारण होना चाहिए, ताकि मरीजों को सस्ता उपचार मिल सके। 
डॉ विवेक चौकसे, अध्यक्ष, फोर्डा 

किसी भी अस्पताल में डॉक्टर का सरोकार मरीज से होता है, बिल से नहीं। इसलिए मूल्य निर्धारण पर किसी को भी आपत्ति नहीं है। सरकार को कीमतों पर नियंत्रण के अलावा सरकारी सिस्टम को मजबूत भी बनाना होगा। -डॉ अश्विनी गोयल, अध्यक्ष, डीएमए

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