रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों के स्वेच्छा अनुदान नियम जारी कर दिया है। इसमें मुख्यमंत्री एक वर्ष में 10 करोड़ रुपयेे तक स्वेच्छा अनुदान दे सकेंगे।
मंत्रियों और राज्यमंत्रियों के लिए यह सीमा डेढ़ और एक करोड़ रुपयेे तय की गई है। कांग्रेस सरकार ने अनुदान स्वीकृत करने वालों की सूची से संसदीय सचिव को हटा दिया है। पूर्ववर्ती सरकार में संसदीय सचिवों को भी स्वेच्छा अनुदान स्वीकृत करने का अधिकार था। हालांकि वर्तमान में मौजूदा सरकार में कोई संसदीय सचिव नहीं है।
सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) से जारी स्वेच्छा अनुदान नियम 2019 का गजट प्रकाशन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री और मंत्री स्वेच्छा अनुदान से न्यूनतम दो हजार रुपयेे स्वीकृत कर सकते हैं। वहीं, मुख्यमंत्री किसी एक व्यक्ति या संस्था को अधिकतम पांच लाख रुपयेे जबकि मंत्री 40 हजार रुपयेे तक दे सकते हैंं।
नियम में इस बात की स्पष्ट व्यवस्था की गई है कि किसी भी व्यक्ति या संस्था को स्वेच्छा अनुदान स्वीकृत किए जाने की जानकारी मुख्य लेखाअधिकारी, जीएडी और वित्त विभाग के साथ ही अन्य विभागों को भी अनिवार्य रूप से भेजी जाएगी। अफसरों के अनुसार ऐसा इस वजह से किया गया है ताकि कोई व्यक्ति एक से अधिक मंत्री से स्वेच्छा अनुदान स्वीकृत न करा सके।
राजनीतिक और धार्मिक संस्थाओं को नहीं दे सकते
नियम में इस बात का भी स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि स्वेच्छा अनुदान से राशि किसी विशुद्ध राजनैतिक और धार्मिक संस्था को स्वीकृत नहीं की जाएगी। खेलकूद, शिक्षा, कला, विज्ञान, ईमानदारी, वीरता, चिकित्सा, निराश्रित, दिव्यांग, कन्या विवाह, अनाथ और बच्चों की पढ़ाई आदि के लिए राशि दी जा सकती है।
दो वर्ष पहले रमन कैबिनेट ने बढ़ाई थी राशि
इससे पहले मई 2017 में रमन कैबिनेट ने मंत्रियों, संसदीय सचिवों के स्वेच्छा अनुदान की राशि में वृद्धि की थी। तत्कालीन सरकार ने मंत्रियों की स्वेच्छा अनुदान राशि एक करोड़ से बढ़ाकर डेढ़ करोड़, राज्य मंत्रियों की 80 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ और संसदीय सचिवों की स्वेच्छा अनुदान राशि 50 लाख से बढाकर 70 लाख रुपयेे किया था।