कांग्रेस में विवाद फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी के अंदर अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठने लगी हैं। पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि पत्र के मामले में आलाकमान को फौरन सख्त रुख अपनाते हुए कड़ा संदेश देना चाहिए। इस बीच, ऐसे संकेत हैं कि असंतुष्ट नेता अपनी आगे की रणनीति बनाने के लिए जल्द एक और बैठक कर सकते हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व जिस तरह इस विवाद से निपट रहा है, उससे असंतुष्ट नेताओं के हौसले बढ़ रहे हैं। कांग्रेस कार्यसमिति में सात घंटे की चर्चा और पार्टी अध्यक्ष के सबकुछ भूलकर आगे के आग्रह के बाद भी असंतुष्ट नेता बयानबाजी कर रहे हैं। इसलिए, पार्टी को इस मामले में फौरन सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
पत्र लिखने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग सीडब्लूसी में भी उठी थी। कांग्रेस कार्यसमिति की सोमवार को हुई बैठक के बाद पार्टी ने संसद से संबंधित लिए गए निर्णयों में असंतुष्ट नेताओं को संदेश देने की कोशिश की है। लोकसभा में पार्टी ने मनीष तिवारी और शशिथरुर को कोई जगह नहीं दी है। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और उपनेता आनंद शर्मा का कद कम करते हुए पांच सदस्य समिति का गठन किया है। इस समिति में अहमद पटेल, जयराम रमेश और केसी वेणुगोपाल को भी शामिल किया गया है। अभी तक राज्यसभा में पार्टी के निर्णय आजाद व आनंद शर्मा लेते थे।
दूसरी तरफ, असंतुष्ट नेताओं को भी यह अहसास होने लगा है कि पार्टी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। पत्र में दिए गए सुझावों पर अमल करने के बजाए पार्टी के अंदर उन्हें ही निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में असंतुष्ट नेता आगे की रणनीति तय करने के लिए जल्द बैठक कर सकते हैं। असंतुष्ट नेताओं में से एक नेता ने कहा कि अभी हम पार्टी का इंतजार कर रहे हैं। आगे की रणनीति तय करने के लिए जल्द बैठक करेंगे।