नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण ने हर किसी को डराया और किसी न किसी रूप में प्रभावित किया है। इससे बचने के लिए लोगों ने हर वह उपाय किए जो विभिन्न माध्यमों से सुझाए गए। इससे बचने के लिए लोग प्रकृति से जुड़े और पौराणिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को अपनाया। बेगूसराय में 10 से 15 आयुर्वेद की दुकानें थींं और वे भी बंदी के कगार पर थींं। लेकिन कोरोना ने उनकी दुकानों में रौनक ला दी।कोरोना के इस दौर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद और प्रकृति से जुड़कर जीवन रक्षा के लिए लोगों ने काढ़ा को अपनाया, वह भी नियमित और समय पर। इतना ही नहीं लोग खुद के साथ-साथ दूसरों को भी नियमित रूप काढ़ा का सेवन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
काढ़ा से क्या हैं फायदे-
काढ़ा का नियमित रूप से सेवन करने से गला साफ रहता है। शरीर में ऊर्जा की प्राप्ति होती है जिससे लोगों की सुस्ती समेत मौसमी बीमारियों के दौर में होने वाली अन्य परेशानियां भी दूर होती हैंं। कोरोना से बचाव के लिए काढ़ा तो फायदेमंद है ही, इसके साथ व्यायाम और भी लाभदायक साबित होगा। इन उपायों को लोगों को सामान्य दिनों में भी अपनाना चाहिए। ऐसा करने पर शरीर को नई ऊर्जा मिलती है।
बहुत ही आसान है घर में आयुर्वेदिक काढ़ा बनाना-
चार लोगों के लिए काढ़ा बनाने के लिए एक बर्तन में छह कप पानी लेकर चूल्हे पर रख दें। उसमें पांच तुलसी के पत्ते डाल दें, जब पानी उबलने लगे तो एक तेजपत्ता, पांच काली मिर्च , एक इंच का दालचीनी, पांच लौंग डाल दें। उसमें गिलोय (गुरीच) को कूटकर पानी में डालें। फिर एक इंच अदरक का टुकड़ा कद्दुकस करके, आधा चम्मच हल्दी पाउडर डालें और अंत में स्वाद के लिए नींबू या गुड डाल दें। इस काढ़े को तब तक उबालें जब तक सूख कर यह आधा नहीं रह जाए। फिर छननी या साफ कपड़े से कप में छान लें और आराम से घूंट-घूंट करके पीएं।
काढ़ा बनाते समय संतुलित मात्रा में डालें सामान-
कोविड-19 संक्रमण से दूर रहने के इस समय लोगों का काढ़ा पीने पर ज्यादा जोर रहता है। निश्चित रूप से काढ़ा लाभदायक है, लेकिन इसमें डालने वाले सामान अगर संतुलित मात्रा में नहीं होंगे तो यह फायदा की बजाए नुकसान कर जाएगा। ज्यादा दालचीनी, हल्दी, तुलसी पत्ता आदि डालने पर यह नुकसानदेह हो जाता है। इसलिए इसका ख्याल जरूर रखें। अच्छी सेहत के लिए हरी सब्जी सबसे फायदेमंद है। इसे रोज अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।
कैसे करें काढ़ा का उपयोग-
दिन में तीन बार एक-एक कप चाय जितना काढ़ा पीना चाहिए, छोटे बच्चों को कम मात्रा में आधा कप ही दें, ज्यादा छोटे बच्चों को भी एक छोटा चम्मच देना चाहिए। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटि) बढ़ती है तथा सर्दी, जुकाम, बुखार, सिरदर्द एवं अन्य लोगों के लिए भी यह अचूक रामबाण दवा है। अत्याधिक गर्मी पड़ने पर काढ़ा कम पीना चाहिए और ऊपर दी गई प्राकृतिक औषधियों की मात्रा भी कम कर देना जरूरी है।
प्रकृति में इम्युनिटी बढ़ाने के हैं और भी उपाय-
चाय और सब्जी में भी लौंग, कालीमिर्च, दालचीनी, तुलसी एवं अदरक का प्रयोग किया जा सकता है। गिलोय का प्रयोग सीधा चबाकर भी कर सकते हैं। लहसुन को घी में सेंंककर प्रयोग किया जा सकता है। अजवाइन को पीस कर गुड़ के साथ मिलाकर छोटी गोलियां बनाकर चबा कर खा सकते हैं। फलों का रस और अनार, पपीता, सेब, संतरा, मौसमी आदि फलों का प्रयोग तथा प्रतिदिन दो से तीन अंजीर और पांच से सात मुनक्का का प्रयोग लाभदायक है।