भारत चीन सीमा पर तनाव अब अधिक बढ़ता नजर आ रहा है। सोमवार देर रात पैंगॉन्ग त्सो झील पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास भारत और चीन के सैनिकों में गोलीबारी की घटना हुई है। चीनी सैनिकों की ओर से फिर घुसपैठ की कोशिश के चलते करीब चार दशक बाद सोमवार देर रात पहली बार दोनों तरफ से गोलीबारी की खबर है।
हालांकि, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को चेतावनी देने के लिए ही गोली चलाई है। घटना के बाद हालात नियंत्रण में है। भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर घटना को लेकर कोई बयान नहीं दिया गया है। वहीं, चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने सेना के हवाले से पूरी घटना का दोष भारत पर मढ़ा है। उसका कहना है कि भारतीय सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की। ऐसे में इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव और गहराने की आशंका है।
खास बात यह है कि 1975 के बाद सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच इस तरह से पहली बार फायरिंग हुई है। सूत्रों के मुताबिक, पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पर चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी। भारतीय सैनिकों ने चेतावनी दी, लेकिन रुकने के बजाय उन्होंने फायरिंग कर दी। इस पर भारतीय सैनिकों ने भी जवाबी फायरिंग की।
भले ही गोली चेतावनी के लिए ही चली हो, लेकिन घटना दर्शाती है कि सीमा पर तनाव कितना बढ़ गया है। इस बीच, ग्लोबल टाइम्स ने चीनी सेना के प्रवक्ता के हवाले से दावा किया है कि भारतीय सैनिक एलएसी को पार कर पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित शेनपाओ पहाड़ी के इलाके में घुस रहे थे। अखबार ने यह भी कहा कि चीनी सैनिकों ने जब उन्हें रोका तो भारतीय सैनिकों की तरफ से फायरिंग की गई। इसके बाद चीनी सैनिकों ने भी फायरिंग की।
बता दें कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास दोनों देशों के सैनिकों के बीच लंबे समय से तनाव बरकरार है। दोनों देशों के सैनिकों के बीच बीते 5 जून को गलवान घाटी में बड़ी हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन को भी भारी नुकसान हुआ था। अंतराराष्ट्रीय मीडिया में कहा गया था कि इस झड़प में चीन के 35 से 40 सैनिक मारे गए हैं, लेकिन चीन ने अब तक अपने मारे गए सैनिकों की संख्या नहीं बताई। तब से दोनों ओर से सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर स्थिति को सामान्य करने की कोशिश जारी है।