यूपी के प्रयागराज (इलाहाबाद) में एक बार फिर से गंगा नदी के किनारे रेत में बड़ी तादाद में शवों को दफ़न कर दिया गया है. फाफामऊ घाट की ताजा फोटोज ने एक बार फिर से कोरोनाकाल के दृश्य को एक बार फिर पेश कर दिया है. हालांकि यहां शव दफनाने की परंपरा कई सदियों से चली आ रही है. लेकिन गंगा के घाटों पर शवों को दफनाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और जिला प्रशासन ने पाबंदी भी लगा दी गई है. जिसके बावजूद परंपरा के नाम पर जिस तरह शवों को दफनाया जाना बहुत चिंताजनक है. फाफामऊ घाट पर हर दिन दर्जनों शवों को रेत में दफन कर रहे है. जिससे चलते यहां पर हर तरफ कब्रें ही दिखाई दे रही है.
दरअसल, मानसून आने में अब एक माह से भी कम वक़्त ही बचा हुआ है. ऐसे में गंगा नदी के तट पर जो शव दफन भी कर दिया है, नदी का जलस्तर बढ़ने पर उनका गंगा में समाने का भी खतरा भी बना हुआ है. जिसके न सिर्फ रेत में दबी लाशें गंगा में प्रवाहित होती हुई दिखाई दे रही है, बल्कि इससे नदी भी प्रदूषित होने वाली है. लेकिन जिला प्रशासन से लेकर नगर निगम तक इस ओर से मुंह फेर लिया है.
कोरोनाकाल में मचा था हंगामा: पता हो कि बीते वर्ष कोविड महामारी के समय में शवों को गंगा के किनारे दफनाए जाने की खबर ने दुनियाभर में हाहाकार मचा दिया था. जिसके उपरांत हरकत में आए प्रयागराज नगर निगम ने रेत से सैकड़ों शव रेत से बाहर निकाले और उनका दाह संस्कार भी किया जा चुका है. फिर प्रशासन ने नदी किनारे रेत में शव दफनाने पर रोक लगाई जा चुकी है. इस रोक के बावजूद अब गंगा किनारे धड़ल्ले से शवों को दफनाए जाने का खेल जारी है.