Friday, August 8, 2025
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हरियाणा में बने किसान आंदोलन जैसे हालात, ट्रैक्टरों से पहुंचे बीजेपी दफ्तर घेरने; खापों का भी समर्थन

हरियाणा के रोहतक में भाजपा के प्रदेश मुख्यालय के बाहर शुक्रवार को किसानों ने प्रदर्शन किया। इसका नेतृत्व किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी कर रहे थे। भारतीय किसान यूनियन के अलावा खाप पंचायतों ने भी इस नए भर्ती सिस्टम का विरोध करने का फैसला लिया है। बड़ी संख्या में युवा और छात्र ट्रैक्टरों और जीपों में भरकर भाजपा कार्यालय पहुंचे और उसका घेराव कर प्रदर्शन किया। भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी दिन भर अनशन करते रहे और अग्निपथ स्कीम का विरोध किया। उनके अलावा खाप पंचायतों ने भी इस लड़ाई में उतरने का फैसला लिया है।

सूबे में जिस तरह से भाजपा कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन किया गया है, उसने एक बार फिर से किसान आंदोलन के दिनों की याद दिला दी है। तब भाजपा नेताओं का तीखा विरोध देखने को मिला था। उनका घेराव कर लोग प्रदर्शन कर रहे थे। कई स्थानों पर तो भाजपा के समर्थकों और किसान आंदोलनकारियों के बीच झड़प की स्थिति भी बन गई थी। इसी तरह शुक्रवार को भी बड़ी संख्या में लोग ट्रैक्टरों और जीपों में सवार होकर पहुंचे और भाजपा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर चढ़ूनी ने कहा कि अग्निपथ स्कीम के जरिए न तो देश सुरक्षित है और न ही इससे युवाओं का हित है। इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

चढ़ूनी बोले- किसान आंदोलन की तरह इस बार भी लड़ेंगे

यही नहीं उन्होंने कहा कि हम लोग तब तक आंदोलन करते रहेंगे, जब तक अग्निपथ स्कीम को वापस नहीं लिया जाता है। चढ़ूनी ने कहा कि यह आंदोलन किसान मूवमेंट की तरह ही होगा और मकसद हासिल करने से पहले पीछे नहीं हटेंगे। यही नहीं बड़ी संख्या में युवाओं ने राजीव गांधी स्टेडियम के पास भी प्रदर्शन किया और दिल्ली-रोहतक रोड को जाम कर दिया। गौरतलब है कि यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में अग्निपथ स्कीम के खिलाफ आंदोलन चल रहा है। तेलंगाना में तो उपद्रवियों पर नियंत्रण के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी थी और इसमें एक युवक की जान चली गई।

राकेश टिकैत ने भी किया आखिरी सांस तक लड़ने का ऐलान

गौरतलब है कि किसान आंदोलन का चेहरा रहे राकेश टिकैत ने सेना के अभ्यर्थियों के आंदोलन का आखिरी सांस तक समर्थन करने की बात कही है। गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि यह योजना किसानों के लिए दूसरा झटका है। आखिर किसके बच्चे सैनिक होते हैं। हमारे ही बच्चे सेना में जाते हैं। हम उनके लिए लडा़ई लड़ेंगे।

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