Sunday, December 22, 2024
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झंडा रोहण करते समय इन नारों को जरूर करें याद…

 ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करों कुर्बानी… लता जी का यह गाना हर भारतवासी के जहन में रग-रग में बसा हुआ है. भारत को आजाद हुए 70 साल होने वाले हैं. हर एक भारतवासी शहीदों की शहादत को नमन करता है.

कुछ शहीदों और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े सेनानियों ने हिदुंस्तानियों के दिलोदिमाग में भारत माता की रक्षा और दुश्मनों से बचाने के लिए कुछ ऐसे नारे लगाए जिन्हें याद करते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं और भारत माता पर बुरी नजर डालने वालों को उनके किए की सजा देने के लिेए प्रेरित करते है.

भारत को हमेशा प्रेम और समर्पण की भावना के लिए जाना जाता है. लेकिन दुश्मनों की क्रूर दृष्टि देशवासियों को हथियार उठाने पर मजबूर कर देती है.

तो चलिए जानते हैं किस सेनानी ने कौन सा नारा दिया है-

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‘संपूर्ण क्रांति अब नारा है’ जय प्रकाश नारायण ने दिया था जिसका इस्तेमाल इमरजेंसी के विरोध में 70 के दशक में किया गया.

‘करो या मरो’ का नारा महात्मा गांधी ने दिया था. साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया.

 ‘इंकलाब ज़िंदाबाद’ का नारा मौलाना हसरत मोहानी ने दिया था. साल 1929 में दिल्ली विधानसभा में भगत सिंह ने धमाका करने के बाद इस नारे का इस्तेमाल किया. अब हर दल और छात्र नेता इसका इस्तेमाल करते हैं.
‘सत्यमेव जयते’ का नारा मुंडक उपनिषद से लिया गया था. पंडित मदन मोहन मालवीय ने साल 1918 में इसका इस्तेमाल किया. इसके बाद भारत के ध्येय वाक्य के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाने लगा.
‘जय हिंद’ का नारा आज़ाद हिंद फौज के मेजर आबिद हसन सफरानी ने दिया था. सुभाष चंद्र बोस ने इसे आज़ाद हिंद फौज का आधिकारिक ध्येय वाक्य बनाया. आज़ादी के बाद पुलिस और सेना में भी अपना लिया गया और आज के दौर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला नारा बना.
‘जय जवान, जय किसान’ का नारा लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था. पहली बार साल 1965 में दिल्ली में हो रही एक जनसभा को संबोध‌ित करते हुए शास्त्री जी ने ये नारा दिया. अटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरण विस्फोट के बाद इसमें जय विज्ञान और जोड़ दिया.

 ‘वंदे मातरम’ का नारा बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने उपन्यास आनंद मठ में साल 1882 में इस शब्द का इस्तेमाल किया.रवींद्रनाथ टैगोर ने साल 1896 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अधिवेशन में इसका इस्तेमाल किया. अब ये राष्ट्रीय गीत है और हर राष्ट्रवादी कार्यक्रम में लगने वाला प्रमुख नारा है.

  1. ‘भारत माता की जय’ का नारा किरन चंद्र बंधोपाध्याय ने भारत माता नाटक के दौरान ये नारा दिया. साल 1873 में नाटक मंचन के दौरान पहली बार इसका इस्तेमाल हुआ और बाद में आजादी आंदोलन के दौरान लोकप्रिय हुआ.
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