Friday, May 9, 2025
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तिफरा पटवारी हल्का 40 के भूइयां (राजस्व) रिकार्ड से 3000 से अधिक भूस्वामियों के नाम गायब…सारी जमीन ए, बी, सी से जेड के नाम पर…कब हुआ ऐसा…जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर…

बिलासपुर। तिफरा पटवारी हल्का नंबर 40 में आपकी जमीन है तो सावधान हो जाइए, क्योंकि यहां के 3000 से अधिक भूस्वामियों के नाम राजस्व रिकार्ड से गायब हो गए हैं। इन सभी की जमीन किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर तो नहीं चढ़ाई गई है, लेकिन जमीन घोटाले की यह बड़ी साजिश है, जिसका पर्दाफाश tazakhabar 36garh.com कर रहा है। जमीन घोटाले के लिए अंग्रेजी के अल्फाबेट को हथियार बनाया गया है। यानी कि यहां की खरबों रुपए की बेशकीमती जमीन का मालिक ए, बी, सी, डी से लेकर जेड को बना दिया गया है।

नगर निगम में शामिल होने से पहले तिफरा नगर पालिका हुआ करती थी। उससे पहले नगर पंचायत और उससे पहले ग्राम पंचायत थी। राजस्व रिकार्ड में आज भी तिफरा ग्राम के रूप में उल्लेखित है। ग्राम पंचायत से नगर पंचायत, फिर नगर पालिका और अब नगर निगम में शामिल होने के बाद यहां की जमीन की कीमत आसमान छू रही है। इसी के साथ ही भू-माफियाओं की नजर तिफरा की जमीन पर पड़ गई है। क्षेत्र में तीन-चार साल पहले से सरकारी और निजी जमीन को हथियाने का खेल चल रहा है। इसका खुलासा अब हो रहा है। www.tazakhabar36garh.com को तिफरा की जमीनों के जो दस्तावेज हाथ लगे हैं, उसे देखकर सभी की आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। या यूं कहें कि सहसा विश्वास ही नहीं होगा कि ऐसा भी होता है।

राजस्व रिकार्ड में खसरा नंबर दर्ज, मालिक का नाम A, B, C, D…

राज्य सरकार की भूइयां साफ्टवेयर में राजस्व रिकार्ड देखने पर पता चलता है कि तिफरा पटवारी हल्का नंबर की 3000 से अधिक खसरा नंबरों पर दर्ज जमीन के मालिकों के पिता के नाम का उल्लेख है, लेकिन जमीन मालिक A. B. C. D से लेकर Z है। साजिश के तहत यहां की जमीन को कोई भी वह व्यक्ति अपने नाम पर आसानी से दर्ज करा सकता है, जिसके पिता का नाम हुबहू भूइयां साफ्टवेयर के रिकार्ड में दर्ज है। हालांकि इसके लिए सरकारी प्रक्रिया से गुजरनी पड़ेगी, लेकिन बिलासपुर जिले में पूर्व में हुए जमीन घोटाले पर नजर डालें तो यह प्रक्रिया भी भू-माफियाओं के लिए बहुत ही आसान है।

2020 में हुआ है बड़ा खेल

राजस्व रिकार्ड से जमीन मालिक के नाम गायब करने का बड़ा खेल 2020 में हुआ है। उस समय यहां की पटवारी अचला तंबोली थी। उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार 16 दिसंबर 2020 को पटवारी अचला तंबोली ने डिजीटल सिग्नेचर कर भूइयां साफ्टवेयर में बी-वन, पी-1 को सत्यापित किया है। किसी भी खसरा नंबर का दस्तावेज निकालने पर पटवारी द्वारा सत्यापित दिनांक की पुष्टि हो जाती है। अब पटवारी ने ऐसा क्यों किया, यह तो वही बता सकती हैं। इस मामले में पक्ष जानने के लिए पटवारी अचला तंबोली को संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नही हो सका। वही मोबाईल में रिंग जानें के बाद भी एसडीएम सौरभ सिंह राज ने कॉल रिसीव नहीं किया।

बड़े बिल्डरों के नाम यथावत

तिफरा पटवारी हल्का नंबर के अंदर जितने भी बड़े बिल्डर, प्रापर्टी डीलर या फिर धन्ना सेठ की जमीन है, उनके जमीनों के साथ ऐसा खेल नहीं हुआ है। यानी कि इनकी जमीन इनके नाम पर ही दर्ज है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि राजस्व महकमे ने जमीन के दस्तावेज से आम नागरिकों के नाम जानबूझकर गायब किए हैं। उनसे किसी तरह की चूक नहीं हुई है।

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