Saturday, April 19, 2025
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नगरीय निकाय चुनाव से पहले सड़क का होगा निर्माण!: तिफरा, यदुनंदन नगर समेत दर्जनों कालोनी वासियों को उम्मीद?…

बिलासपुर। बिलासपुर-रायपुर रोड़ स्थित वार्ड नंबर 6 तिफरा, यदुनंदन नगर और दर्जनों कालोनी में रहने वाले लोगों को इंतेजार है कि इस नगरीय निकाय चुनाव से पहले उन्हें अच्छी और मजबूत सड़क मिलेगी। बारिस में कीचड़ और सूखे में धूल से नहाए सड़क से परेशान हो चूके हजारों आने जाने वाले लोग कई सालों से जूझ रहे हैं।

गढ़ों से भरी सड़क पर आये दिन छोटी बड़ी दुर्घटना होती रहती है। यदुनंदन नगर और दर्जनों कालोनी को शहर से जुड़ने वाली तिफरा औद्योगिक क्षेत्र वाली सड़क हो या घुरू अमेरी वाली रोड़ हो कोई भी गढ़ों से खाली नहीं है, लोग अपनी जान हथेली पर लेकर चलने के लिए मजबूर हैं।

दरअसल नगरीय निकाय चुनाव के समय अक्सर जनता की उम्मीदें और प्रशासनिक प्रयासों में अचानक तेज़ी आ जाती है। हर चुनाव में सड़कों का निर्माण और सुधार एक प्रमुख मुद्दा रहता है। सड़कें किसी भी शहर के विकास का आधार होती हैं, और इनका सही समय पर निर्माण या मरम्मत चुनावी वादों और जनता की आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाने का काम करता है।

सड़क निर्माण: चुनावी एजेंडा या ज़रूरत?

चुनावी माहौल में सड़कों का निर्माण प्राथमिकता बन जाता है। यह इसलिए नहीं कि प्रशासन को अचानक जनता की परेशानी का एहसास होता है, बल्कि इसलिए कि सड़कें चुनावी वादों को पूरा करने और वोटरों को प्रभावित करने का एक सशक्त माध्यम बन जाती हैं। हर बार चुनाव के पहले शहरों की प्रमुख सड़कों का नवीनीकरण शुरू हो जाता है, जिससे जनता में यह संदेश जाता है कि सरकार विकास कार्यों के प्रति गंभीर है।

हालांकि, इस संदर्भ में एक सवाल उठता है: क्या यह विकास वास्तव में जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए है, या फिर यह केवल चुनावी फायदे के लिए किया जा रहा है? बहुत बार देखा गया है कि सड़कों का निर्माण आधे-अधूरे तरीके से होता है, जिससे चुनाव खत्म होते ही सड़कों की हालत पहले से भी बदतर हो जाती है।

विकास की रफ्तार: योजना बनाम हकीकत:

सड़क निर्माण के लिए ठोस योजना और संसाधनों की आवश्यकता होती है। लेकिन चुनाव से पहले का समय अत्यधिक व्यस्त होता है, और अक्सर देखा गया है कि विकास कार्यों में जल्दबाज़ी की जाती है। जल्दबाजी में किए गए काम का परिणाम यह होता है कि सड़कों की गुणवत्ता पर समझौता होता है। इसके अलावा, ठेकेदारों और प्रशासनिक अधिकारियों पर चुनाव से पहले काम पूरा करने का दबाव होता है, जिससे परियोजनाएं समय पर समाप्त हो जाती हैं, लेकिन स्थायित्व और गुणवत्ता की कीमत पर।

राजनीतिक प्रभाव और जनता की उम्मीदें: 

नगरीय निकाय चुनाव में सड़कें केवल विकास का प्रतीक नहीं होतीं, बल्कि वे राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित करती हैं। सड़कों के निर्माण और सुधार का काम अक्सर उन क्षेत्रों में अधिक तेजी से होता है, जहां प्रशासन को अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से अधिक खतरा महसूस होता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि विकास कार्य भी राजनीति के प्रभाव से अछूते नहीं रहते।

जनता की उम्मीदें और प्रशासन की वास्तविकता के बीच का अंतर अक्सर सड़कों की स्थिति में साफ दिखाई देता है। एक तरफ, जनता को चुनाव से पहले सड़कों के निर्माण का वादा मिलता है, तो दूसरी तरफ चुनाव के बाद इन सड़कों की स्थिति में गिरावट आ सकती है।

नगरीय निकाय चुनाव से पहले सड़क निर्माण की संभावना वास्तविक तो है, लेकिन इसके पीछे के उद्देश्य और गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते हैं।

प्रशासन और जनता दोनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव के पहले किए गए वादे और काम केवल चुनावी फायदे तक सीमित न रहें, बल्कि वे जनता की दीर्घकालिक जरूरतों को पूरा करने वाले हों।

सड़कें सिर्फ विकास का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे समाज की प्रगति और शासन की नीयत का भी प्रतिबिंब होती हैं। चुनावी वादों को धरातल पर उतारते समय प्रशासन को दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, ताकि चुनाव के बाद भी इन सड़कों का लाभ जनता को मिलता रहे।

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