बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की साय सरकार पर कांग्रेस और एनएसयूआई ने गंभीर आरोप लगाए हैं। दोनों संगठनों का दावा है कि वर्तमान सरकार अन्याय के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है, और इस दिशा में सरकार की नीतियां लगातार कठोर होती जा रही हैं। हाल ही में हुई घटनाओं ने इस आरोप को और मजबूती दी है, जहां आवाज उठाने वाले लोगों को दमन और कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है।
कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव ने सतनामी समाज के अधिकारों के लिए आवाज उठाई, तो उन्हें सरकार की आलोचना का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही हसदेव के जंगलों को बचाने के लिए आदिवासी समुदाय ने जो आंदोलन किया, उस पर भी दमनकारी नीतियों का इस्तेमाल किया गया। इन घटनाओं से यह साफ होता है कि साय सरकार आलोचना को सहन नहीं कर रही और लोगों को डराने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
बिलासपुर के पचपेड़ी छात्रावास की घटना ने यह और स्पष्ट कर दिया कि सरकार की नीति सिर्फ बड़े मुद्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे-छोटे मामलों में भी सरकार आलोचना को दबाने का प्रयास कर रही है। छात्रावास में खराब भोजन की शिकायत करने पर अधीक्षिका द्वारा बच्चियों को धमकियां दी गईं। जब छात्राओं ने इसके खिलाफ विरोध किया, तो तहसीलदार ने उन्हें जेल भेजने की धमकी दी।
एनएसयूआई के छात्रनेता राहुल हंसपाल जब इस मामले को संज्ञान में लेकर छात्राओं का समर्थन करने पहुंचे, तो उनके खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज कर दी गई। यह घटना यह दिखाती है कि सरकार किसी भी तरह की विरोधी आवाज को दबाने के लिए कानूनी हथकंडों का इस्तेमाल कर रही है।
छात्राओं के विरोध के बाद तहसीलदार और अधीक्षिका के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों के खिलाफ कार्यवाही की। इस घटना के बाद छात्रावास अधीक्षिका को निलंबित कर दिया गया, लेकिन इसके तुरंत बाद एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई। उन्हें घंटों थाने में बिठाने के बाद मुचलके पर रिहा किया गया।
कांग्रेस और एनएसयूआई ने साफ कर दिया है कि वे जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे, चाहे सरकार कितना भी दमन करे। कांग्रेस का आरोप है कि साय सरकार जनता को यह संदेश देना चाहती है कि अगर आप अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएंगे, तो आपको कानूनी कार्यवाही और दमन का सामना करना पड़ेगा।
कांग्रेस नेताओं ने मांग की है कि सरकार स्पष्ट रूप से एक आदेश जारी करे, जिसमें यह लिखा हो कि जनता को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि चाहे जो भी हो, वे जनता के हक के लिए अपनी आवाज उठाते रहेंगे और दमनकारी नीतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।
साय सरकार पर लग रहे ये आरोप यह सवाल उठाते हैं कि क्या सरकार वास्तव में लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान कर रही है, या फिर वह अपनी आलोचना को दबाने के लिए हर संभव साधन का उपयोग कर रही है। कांग्रेस और एनएसयूआई का रुख स्पष्ट है कि वे जनता के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहेंगे, चाहे सरकार उनके खिलाफ कितनी भी कठोर कार्रवाई करे।