शिक्षा

छात्रावास में लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई: गुरुघासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी का एक छात्र प्रशासन के सामने धरने पर…

Fight for democratic rights in the hostel: A student of Guru Ghasidas Central University sits on dharna in front of the administration...

बिलासपुर। गुरुघासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के बॉटनी विभाग का एक छात्र सोफी अब्दुल रहमन, जो विवेकानंद छात्रावास में रहता था, इन दिनों अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रशासन के खिलाफ आवाज उठा रहा है। यह छात्र, जो लंबे समय से छात्रावास के कुछ जरूरी मुद्दों को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रख रहा था, प्रशासन को यह रास नहीं आया और उसे छात्रावास से निकालने का आदेश दे दिया गया।

घटना की शुरुआत तब हुई जब छात्र कुछ दोस्तों के साथ हॉस्टल जा रहा था। वहीं, हॉस्टल के वार्डन ने उसे धक्का दे दिया और कुछ अन्य छात्रों को बुलाकर उसे मारपीट कर हॉस्टल से बाहर कर दिया। यह घटना छात्र के लिए एक बड़ा झटका थी, क्योंकि वह अपने अधिकारों और हॉस्टल में चल रही समस्याओं को लेकर खुलकर अपनी बात रख रहा था। इस तरह की ज्यादतियां प्रशासन के उस दृष्टिकोण को उजागर करती हैं, जिसमें असहमति की आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है।

घटना के बाद, छात्र ने विवेकानंद छात्रावास के गेट के सामने शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का निर्णय लिया। वह कल दोपहर 2:00 बजे से भूखे-प्यासे अकेले प्रदर्शन कर रहा था, जिसका मुख्य उद्देश्य यह था कि उसे हॉस्टल से बाहर न निकाला जाए। यह प्रदर्शन पूर्णत: लोकतांत्रिक तरीके से हो रहा था, जिसमें छात्र प्रशासन से अपने अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहा था।

शाम होते-होते, बॉटनी विभाग के विभागाध्यक्ष देवेंद्र कुमार पटेल वहां पहुंचे और कुछ देर बात करने के बाद चले गए। परंतु उनके जाने के लगभग आधे घंटे बाद, विश्वविद्यालय की ओर से छात्र को निष्कासन का नोटिस सौंप दिया गया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। रात 10 बजे तक छात्र धरने पर बैठा रहा, और इस संघर्ष में अब वह अकेले होकर भी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए अडिग है।

यह मामला सिर्फ एक छात्र का नहीं है, बल्कि यह पूरे छात्र समुदाय के अधिकारों और उनके स्वतंत्र रूप से अपनी बात रखने के अधिकार पर सवाल उठाता है। विवेकानंद छात्रावास में हो रही इस घटना से साफ है कि विश्वविद्यालय प्रशासन असहमति की किसी भी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है।

छात्र समुदाय में इस घटना को लेकर गहरी चिंता और आक्रोश है। जहां एक ओर प्रशासन अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर छात्र एकजुट होकर अपने साथी के समर्थन में खड़े हो रहे हैं।

यह मामला दिखाता है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में असहमति और विचारों की स्वतंत्रता को किस हद तक दबाया जा सकता है। यह छात्र, जो कि एक आवाज उठाने के लिए खड़ा हुआ, अब प्रशासन की कड़ी कार्रवाई का सामना कर रहा है। छात्र समुदाय और नागरिक समाज को इस मुद्दे पर जागरूक होने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई जा सके।

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