बिलासपुर। छत्तीसगढ़ भारत के उन गिने-चुने राज्यों में से है, जो अपनी प्रचुर खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है। यहां के बैलाडीला क्षेत्र में लौह अयस्क के विशाल भंडार पाए जाते हैं, जिसका दोहन राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) लिमिटेड द्वारा लगभग सात दशकों से किया जा रहा है। इसके बावजूद एनएमडीसी का मुख्यालय हैदराबाद में स्थित है, जो छत्तीसगढ़ के लोगों के साथ अन्याय के समान प्रतीत होता है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व विधायक शैलेश पांडेय ने इस विषय को गंभीरता से उठाते हुए, एनएमडीसी के मुख्यालय को रायपुर स्थानांतरित करने की मांग की है। उनका तर्क है कि छत्तीसगढ़, जहां एनएमडीसी की अधिकांश लाभकारी इकाइयां संचालित होती हैं और जहां से यह कंपनी अपना 80% लाभ अर्जित करती है, वहाँ इस कंपनी का मुख्यालय होना न्यायोचित होगा।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश की विधानसभा में सर्वसम्मति से एनएमडीसी मुख्यालय को रायपुर स्थानांतरित करने का प्रस्ताव पारित किया गया था और केंद्र सरकार को इसकी अनुशंसा भेजी गई थी। इसके बावजूद, यह मांग आज भी अधूरी है, जो छत्तीसगढ़ के लोगों में निराशा और असंतोष का कारण बनी हुई है। यह मामला केवल आर्थिक लाभ का नहीं है, बल्कि राज्य की अस्मिता और स्वाभिमान से जुड़ा हुआ है।
- राज्य की मांगें और समाधान
शैलेश पांडेय ने एनएमडीसी मुख्यालय के स्थानांतरण के अलावा कई और महत्वपूर्ण मांगें उठाई हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
1. नवा रायपुर में एनएमडीसी मुख्यालय स्थापित करना: राज्य सरकार ने अटल नगर नवा रायपुर में भूमि आबंटित की है, जहाँ एनएमडीसी मुख्यालय को स्थापित किया जा सकता है। इसके लिए सरकार को केंद्र के साथ मिलकर ठोस कदम उठाने चाहिए।2. ग्लोबल एक्सप्लोरेशन सेंटर का संचालन: रायपुर में स्थित ग्लोबल एक्सप्लोरेशन सेंटर को पूरी तरह सक्रिय करने की आवश्यकता है ताकि इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर खनन और भूगर्भ विज्ञान में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा मिल सके।
- 3. रॉक म्यूज़ियम और आर एंड डी सेंटर की स्थापना: खनिज संग्रहालय और अनुसंधान केंद्र स्थापित करने से राज्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खनन और अनुसंधान का प्रमुख केंद्र बनाने में मदद मिलेगी।
- 4. खनिज संसाधनों के दोहन पर कार्य: बैलाडीला क्षेत्र और देवभोग में हीरा खदानों सहित अन्य खनिज स्रोतों पर भी एनएमडीसी और राज्य सरकार को संयुक्त उपक्रम के माध्यम से कार्य प्रारंभ करना चाहिए।
- 5. नगरनार इस्पात संयंत्र का पूर्ण संचालन: नगरनार इस्पात संयंत्र के मुख्यालय को जगदलपुर में पूरी तरह सक्रिय करना आवश्यक है ताकि इस्पात उत्पादन में राज्य की प्रमुख भूमिका सुनिश्चित हो सके।
- 6. मूल निवासियों को नौकरी में प्राथमिकता: छत्तीसगढ़ के लोगों को एनएमडीसी में नौकरी में प्राथमिकता और कर्मचारियों के साथ निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- 7. सीएसआर और स्पॉन्सरशिप में वृद्धि: तेलंगाना में एनएमडीसी की लाभकारी इकाइयाँ न होने के बावजूद वहाँ कंपनी का विशेष झुकाव दिखता है, जबकि छत्तीसगढ़ में सीएसआर गतिविधियों में बढ़ोतरी की सख्त जरूरत है।
एनएमडीसी और छत्तीसगढ़ का रिश्ता
एनएमडीसी की स्थापना से लेकर अब तक इसका रवैया छत्तीसगढ़ और यहाँ के निवासियों के प्रति सौतेला रहा है। यह कंपनी छत्तीसगढ़ से अरबों का लाभ कमाती है, लेकिन इसके बावजूद यहाँ के निवासियों और कर्मचारियों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया है। छत्तीसगढ़ को लंबे समय से उपेक्षित रखा गया है, जबकि यह राज्य खनिज संसाधनों के मामले में सबसे समृद्ध है।
छत्तीसगढ़ के लोगों की मांग और शैलेश पांडेय की पहल केवल आर्थिक न्याय का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह राज्य की अस्मिता और आत्मसम्मान का प्रतीक है। एनएमडीसी का मुख्यालय रायपुर स्थानांतरित करना न केवल छत्तीसगढ़ के लिए लाभकारी होगा, बल्कि यह देश की खनिज संपदा के उचित प्रबंधन और विकास में भी सहायक सिद्ध होगा। राज्य और केंद्र की डबल इंजन सरकार को इस दिशा में शीघ्रता से कार्यवाही करनी चाहिए ताकि छत्तीसगढ़ के लोगों के साथ हो रहे इस ऐतिहासिक अन्याय का अंत हो सके।