Tuesday, October 22, 2024
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पोस्टमार्टम के दौरान अचानक जीवित हुआ शख्स- बोला “मैं अभी जिंदा हूं”, मुर्दा घर में पुलिसकर्मी और डॉक्टर के उड़े होश…

बिहार के नालंदा जिले के बिहार शरीफ स्थित सदर अस्पताल में सोमवार को ऐसी अजीबोगरीब घटना सामने आई, जिसने न केवल वहां मौजूद डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों को हैरान कर दिया, बल्कि आम जनता को भी चौंका दिया। एक व्यक्ति, जिसे मृत मान लिया गया था और पोस्टमार्टम की तैयारी की जा रही थी, अचानक उठ खड़ा हुआ और उसने कहा, “मैं अभी जिंदा हूं” इस अप्रत्याशित घटना ने अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बना दिया।

इस घटना की शुरुआत तब हुई जब अस्पताल के सफाईकर्मी ने पुलिस को सूचना दी कि पहली मंजिल के शौचालय में एक शख्स बेहोश पड़ा हुआ है और दरवाजा अंदर से बंद है। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और दरवाजा तोड़कर अंदर गई। वहां फर्श पर एक व्यक्ति बेसुध अवस्था में पड़ा हुआ था। जब पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों ने उसकी नब्ज चेक की, तो कोई हरकत नहीं मिली, जिससे उन्हें लगा कि वह व्यक्ति मर चुका है।

इसके बाद, पुलिस और अस्पताल के स्टाफ ने उस व्यक्ति को स्ट्रेचर पर रखा और पोस्टमार्टम हाउस में ले गए। डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम की तैयारी शुरू कर दी। इस दौरान, अचानक ही वह शख्स उठ खड़ा हुआ और जोर से कहा, “मैं जिंदा हूं।” यह देखकर वहां मौजूद डॉक्टर और स्टाफ डर गए और तुरंत बाहर खड़े पुलिसकर्मियों को बुलाया। सभी लोग इस घटना से स्तब्ध रह गए।

बाद में पुलिस ने व्यक्ति से पूछताछ की, जिसमें पता चला कि वह अस्थवां थाना क्षेत्र के जिराइन गांव का निवासी है। उसने बताया कि वह अस्पताल में दवाई लेने आया था, लेकिन नशे की हालत में शौचालय में गया और बेहोश हो गया। शौचालय में काफी समय तक बेहोश पड़े रहने के कारण उसे मृत समझ लिया गया।

जैसे ही यह घटना फैली, अस्पताल में बड़ी संख्या में लोग उसे देखने उमड़ पड़े। सभी इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि कैसे एक मृत मान लिया गया व्यक्ति अचानक जीवित हो सकता है। यह घटना अपने आप में एक चमत्कार की तरह प्रतीत होती है और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है।

यह घटना न केवल अस्पताल की व्यवस्था और पुलिस की तत्परता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी बताती है कि कभी-कभी हमारी त्वरित धारणाएं गलत हो सकती हैं। हालांकि, यह एक राहत की बात है कि समय रहते सच्चाई का पता चल गया और एक जीवित व्यक्ति की जान बचाई जा सकी। इस घटना से यह सीख मिलती है कि किसी भी मामले में अंतिम निर्णय लेने से पहले पूरी जांच-पड़ताल जरूरी है।

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