छत्तीसगढ़ में डीएड/डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन) अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। यह धरना 2 अक्टूबर 2024 से रायपुर के नया रायपुर स्थित तूता धरनास्थल पर जारी है। धरने का आज 8वां दिन है, और अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट के आदेशों के शीघ्र पालन की मांग कर रहे हैं।
इन अभ्यर्थियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2 अप्रैल 2024 को स्पष्ट आदेश दिया था कि छह सप्ताह के भीतर डीएड/डीएलएड अभ्यर्थियों को सहायक शिक्षक पद पर नियुक्ति दी जाए। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद भी राज्य सरकार और संबंधित विभाग ने इसे अनदेखा कर दिया। इसके विपरीत, सरकार और बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ 8 याचिकाएं दायर कीं।
28 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार और विभाग को डीएड/डिप्लोमा अभ्यर्थियों की जल्द नियुक्ति का निर्देश दिया। इसके बावजूद, अब तक न तो सरकार ने इस मामले में कोई ठोस कदम उठाया और न ही अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया।
डीएड/डीएलएड अभ्यर्थियों का कहना है कि काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद वे पिछले एक साल से नियुक्ति के इंतजार में हैं। उन्होंने न्यायालय के आदेश के बावजूद नियुक्ति न मिलने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है और इसे सरकार की उदासीनता करार दिया है।
अभ्यर्थी अब धरनास्थल पर पोस्टरों और नारों के माध्यम से अपनी मांगों को जनता तक पहुंचा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि जल्द ही न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया, तो यह सरकार की संविधान और न्यायपालिका के प्रति अवहेलना को प्रदर्शित करेगा।
अभ्यर्थियों ने सरकार के “सुशासन” के दावों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “गारंटी” पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यदि बीजेपी की साय सरकार संविधान का पालन नहीं कर सकती और न्यायालय के आदेश का सम्मान नहीं करती, तो यह सरकार के सुशासन के दावे पर सवाल खड़ा करता है।
उनका तर्क है कि जब नेता और मंत्री शपथ लेते समय संविधान का पालन करने की बात करते हैं, तो उन्हें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए डीएड/डीएलएड अभ्यर्थियों को शीघ्र नियुक्ति देनी चाहिए।
इसके साथ ही, अभ्यर्थियों ने धरनास्थल पर बुनियादी सुविधाओं की कमी की भी शिकायत की है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि धरने के दौरान उन्हें पानी, शौचालय, छांव, और चिकित्सा जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं ताकि वे अपने विरोध को शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से जारी रख सकें।