छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां साजा के एसडीएम टेकराम माहेश्वरी को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने घूस लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई में उनके साथ एक नगर सैनिक भी गिरफ्तार हुआ। एसडीएम पर आरोप है कि उन्होंने NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) जारी करने के लिए रिश्वत की मांग की थी। मामला एक दिव्यांग युवक की शिकायत पर प्रकाश में आया, जिसके बाद ACB ने जाल बिछाकर आरोपी एसडीएम को गिरफ्तार किया।
शिकायतकर्ता, जो कि एक दिव्यांग युवक है, ने अपनी मां के नाम पर भूमि के डायवर्सन (परिवर्तन) के लिए साजा स्थित एसडीएम कार्यालय में NOC के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था। लेकिन इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एसडीएम टेकराम माहेश्वरी ने 1 लाख रुपये की घूस की मांग की। आवेदक इस अवैध मांग से नाराज था और उसने एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत की जांच के बाद मामला सही पाया गया, और ACB ने आरोपी को पकड़ने की योजना बनाई।
शिकायत की पुष्टि होने के बाद, ACB ने जाल बिछाया और आवेदक को रिश्वत देने के लिए तैयार किया। एसडीएम टेकराम माहेश्वरी 20,000 रुपये की रिश्वत पर सहमत हुए, जिसमें से 10,000 रुपये एडवांस के रूप में पहले ही दे दिए गए थे। गुरुवार को बकाया 10,000 रुपये की अदायगी के दौरान, ACB ने एसडीएम माहेश्वरी और उनके सहयोगी नगर सैनिक गौकरण सिंह को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद, एसीबी टीम ने आरोपियों के निवास और कार्यालय की तलाशी शुरू की। जांच के दौरान, भ्रष्टाचार के और भी सबूत मिलने की संभावना जताई जा रही है। आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है और उन पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
यह घटना छत्तीसगढ़ में सरकारी अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार और घूसखोरी के बढ़ते मामलों की एक बानगी है। हालांकि, एसीबी जैसी संस्थाओं की सक्रियता इस बात की पुष्टि करती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो रही है। आवेदक की जागरूकता और एसीबी की तत्परता के कारण एक और भ्रष्ट अधिकारी को कानून के शिकंजे में लाया जा सका। इससे यह संदेश जाता है कि भ्रष्टाचार को सहने के बजाय उसके खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है, ताकि ऐसे मामलों पर अंकुश लगाया जा सके।