बिलासपुर, 14 दिसंबर, 2024 – विश्व एड्स दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एड्स जागरूकता पखवाड़े के अंतर्गत केंद्रीय जेल में एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य बंदियों को एड्स और HIV-TB को-इन्फेक्शन के बारे में जागरूक करना और उन्हें इस गंभीर बीमारी के खतरों से बचने के तरीकों के बारे में जानकारी देना था।
विशेषज्ञों द्वारा जानकारी
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. गायत्री बांधी ने HIV और TB के को-इन्फेक्शन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एचआईवी से संक्रमित व्यक्तियों में टीबी होने की संभावना अधिक होती है, और इस सह-संक्रमण से बचाव के लिए समय पर उपचार और जागरूकता जरूरी है। इसके अलावा, उन्होंने बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी जोर दिया, यह समझाते हुए कि सकारात्मक सोच और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। बंदियों को प्रेरित करते हुए उन्होंने “जिंदगी जिंदाबाद” का नारा दिया, जिससे उन्होंने जीवन के प्रति एक नई आशा और उत्साह भरने की कोशिश की।
एआरटी चिकित्सा की भूमिका
एआरटी (एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए एआरटी मेडिकल ऑफिसर डॉ. रक्षित जोगी ने सरल भाषा में समझाया कि यह उपचार एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है और उन्हें लंबा और स्वस्थ जीवन जीने का मौका देता है।
जेल प्रशासन का योगदान
जेल अधीक्षक खोमेश मांडवी ने जेल में चल रहे एचआईवी कार्यक्रम के बारे में बताया और जेल में बंदियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा और संवर्धन के प्रति प्रशासन की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया। उन्होंने यह भी बताया कि जेल में समय-समय पर ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है, ताकि बंदियों को स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरी जानकारी और सेवाएं मिलती रहें।
एड्स पर विस्तृत जानकारी
जिला समन्वयक माजिद अली ने एड्स और एचआईवी वायरस के खतरों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह वायरस मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है, जिससे शरीर को संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में कठिनाई होती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एड्स से बचाव के लिए जागरूकता और समय पर उपचार जरूरी है।
कार्यक्रम का सफल समापन
इस आयोजन में जेल मेडिकल ऑफिसर डॉ. राजीव और डॉ. चंद्राकर ने भी बंदियों के साथ अपने स्वास्थ्य संबंधी अनुभव साझा किए और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह दी। कार्यशाला का आयोजन जेलर उत्तम पटेल और सहायक जेलर अमितेश साहू के निर्देशन में हुआ, जबकि कार्यक्रम का सफल संचालन माजिद अली ने किया।
इस अवसर पर जेल हॉस्पिटल स्टाफ और जिला टीबी कार्यक्रम के समन्वयक आशीष सिंह समेत कई अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी उपस्थित रहे। इस कार्यशाला ने न केवल बंदियों को एड्स और HIV-TB के बारे में जागरूक किया, बल्कि उन्हें स्वस्थ और सकारात्मक जीवन जीने की प्रेरणा भी दी।
इस प्रकार की पहलें जेलों में बंदियों के स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति एक सार्थक कदम हैं, जो उन्हें न केवल बीमारियों से बचाने में मदद करती हैं, बल्कि समाज में फिर से शामिल होने के लिए मानसिक रूप से भी तैयार करती हैं।