बिलासपुर में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी (CSPDCL) द्वारा स्मार्ट मीटर लगाए जाने के खिलाफ स्थानीय उपभोक्ताओं में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। नागरिक सुरक्षा मंच के तत्वाधान में उपभोक्ताओं ने प्रदर्शन कर अपनी आवाज बुलंद की। उनकी शिकायत है कि बिना किसी पूर्व सूचना या अनुमति के उनके पुराने मैनुअल मीटर को स्मार्ट मीटर से बदला जा रहा है।
स्मार्ट मीटर लगाए जाने के बाद उपभोक्ताओं ने अपने बिजली बिलों में तीन से चार गुना तक वृद्धि की शिकायत की है। लोगों का कहना है कि अचानक बढ़े हुए बिल उनके लिए आर्थिक संकट का कारण बन रहे हैं। इसके साथ ही, स्मार्ट मीटर में तकनीकी खामियों के कारण गलत रीडिंग्स सामने आ रही हैं, जिससे समस्या और भी गंभीर हो गई है।
जनता की मुख्य मांगें
प्रदर्शन कर रहे उपभोक्ताओं ने CSPDCL से निम्नलिखित मांगें की हैं:
1. स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया पर रोक: जब तक स्मार्ट मीटर पूरी तरह कार्यशील और त्रुटिहीन साबित नहीं हो जाते, तब तक इस प्रक्रिया को रोका जाए।
2. पुराने मीटर की वापसी: जिन घरों में स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, वहां फिर से मैनुअल मीटर लगाए जाएं।
3. बिलों में सुधार: स्मार्ट मीटर से तैयार बिलों को रद्द कर मैनुअल मीटर के हिसाब से नए बिल तैयार किए जाएं।
प्रदेश महासचिव शिल्पी तिवारी ने भी इस मुद्दे पर उपभोक्ताओं का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बिना किसी पूर्व सूचना के मीटर बदला जा रहा है और मीटर लगाने वाली टीम द्वारा दुर्व्यवहार की शिकायतें भी मिल रही हैं। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में स्मार्ट मीटर की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह ठंडे प्रदेशों के लिए अधिक उपयुक्त हैं।
इस पूरे विवाद पर CSPDCL के अधीक्षण अभियंता एस.के. जांगड़े ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चल रही है। उन्होंने उपभोक्ताओं की समस्याओं को गलतफहमियां बताया और कहा कि मैनुअल रीडिंग में पंचिंग के दौरान भी गलतियां हो सकती हैं। जांगड़े ने यह भी आश्वासन दिया कि जहां-जहां मीटर लगाए जा रहे हैं, वहां शिकायत निवारण के लिए कैंप लगाए जाएंगे।
यदि उपभोक्ताओं की मांगों का समाधान नहीं किया गया, तो उन्होंने उग्र जनआंदोलन की चेतावनी दी है। उपभोक्ताओं का कहना है कि इसकी पूरी जिम्मेदारी CSPDCL की होगी।
स्मार्ट मीटर परियोजना को लेकर उपभोक्ताओं और CSPDCL के बीच बढ़ता यह विवाद राज्य में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। बिजली विभाग के अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच संवाद और समस्या समाधान की पहल से ही इस तनाव को दूर किया जा सकता है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह विवाद राज्यव्यापी आंदोलन का रूप ले सकता है।