बिलासपुर, छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-130 (NH-130) को जानबूझकर लग्जरी कारों की रैली निकालकर अवरुद्ध करने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। इस गंभीर घटना को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कड़ा रुख अपनाया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ द्वारा जनहित याचिका में तब्दील कर प्रारंभ कर दी गई है।
सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने बिलासपुर पुलिस की ढीली कार्रवाई पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा—“जब हाईवे को अवैध रूप से बाधित किया गया, तो संबंधित वाहनों को तत्काल जब्त क्यों नहीं किया गया?” कोर्ट की इस तीखी टिप्पणी के बाद पूरे प्रशासनिक तंत्र में हड़कंप मच गया।
हाईकोर्ट की फटकार के बाद बिलासपुर पुलिस ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मामले में अपराध दर्ज करने की जानकारी दी। पुलिस के अनुसार, वेदांश शर्मा और उसके सहयोगियों ने जानबूझकर अपने लग्जरी वाहनों को राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच खड़ा कर यातायात बाधित किया और इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया।
इस घटना से आम जनता को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। पुलिस ने थाना सकरी में अपराध क्रमांक 495/25 के तहत भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 126(2), 285 और 3(5) के अंतर्गत मामला पंजीबद्ध कर लिया है। वर्तमान में पुलिस द्वारा आरोपियों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया और वाहनों की विधिवत जब्ती की कार्रवाई जारी है।
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद आम नागरिकों में भारी आक्रोश देखने को मिला। लोगों ने इस प्रकार की ‘दबंगई’ को कानून व्यवस्था की नाकामी बताया और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
यह मामला अब केवल ट्रैफिक जाम या दबंगई तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह उच्च न्यायालय की सख्ती और स्वत: संज्ञान की वजह से एक मिसाल बनता दिख रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए पुलिस और प्रशासन क्या ठोस कदम उठाते हैं।