बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ में अडानी को लेकर कांग्रेस द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन पर भाजपा ने तीखा पलटवार किया है। भाजपा नेता मनीष अग्रवाल ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए इसे “खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे” जैसी स्थिति बताया है। उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क है।
अग्रवाल ने कहा कि एक ओर कांग्रेस के नेता और उनके कार्यकर्ता “अडानी भगाओ, छत्तीसगढ़ बचाओ” के नारे लगाते घूम रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वे इस बात पर मौन हैं कि खुद पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने ही अडानी को छत्तीसगढ़ में आने का न्यौता दिया था और कोल ब्लॉकों की अनुमति दी थी।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 में जब केंद्र में कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार थी, तब पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने हरदेव अरण्य क्षेत्र को “नो-गो जोन” घोषित किया था। लेकिन बाद में उसी कांग्रेस सरकार ने तारा, परसा ईस्ट और कांटे बासन जैसे कोल ब्लॉकों को खोलने की प्रक्रिया शुरू की। अग्रवाल के अनुसार, उस समय छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की ही सरकारें थीं और अडानी को गारे पेल्मा सेक्टर-2 और राजस्थान के खदानों में ऑपरेटर नियुक्त किया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर सीधा निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने कहा कि 16 अक्टूबर 2019 को कांग्रेस सरकार ने केंद्र सरकार को पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए पत्राचार किया था। इसके बाद 31 मार्च 2021 को गारे पेल्मा सेक्टर-2, मांड-रायगढ़ कोलफील्ड के लिए केंद्र और राज्य सरकार के बीच अनुबंध हुआ। इतना ही नहीं, 19 अप्रैल 2022 को पर्यावरण स्वीकृति स्टेज-1 और 23 जनवरी 2023 को स्टेज-2 की अनुमति के लिए भी सिफारिशें भेजी गईं – और ये सभी कांग्रेस शासन के दौरान की गईं।
अग्रवाल ने सवाल उठाया कि जब कांग्रेस सरकार खुद अडानी को बुला रही थी, तब “अडानी भगाओ” का नारा क्यों नहीं दिया गया? उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास आज जवाब नहीं है, इसलिए वे ईडी और CBI जैसी जांच एजेंसियों पर हमला बोलकर असल मुद्दे से जनता का ध्यान भटका रही है।
अंत में भाजपा नेता ने कहा कि,
“पूछता है छत्तीसगढ़, जब खुद कांग्रेस सरकार ने अडानी को खदानें सौंपीं, तो अब जनता को गुमराह क्यों कर रही है? यह कांग्रेस की दोहरी नीति और नेताओं का दोहरा चरित्र है।”