बिलासपुर। डिप्टी सीएम अरुण साव ने आज न्यू सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जीएसटी कौंसिल के ऐतिहासिक फैसले पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है और अब इसे और सरल बनाकर आम जनता तक सीधा लाभ पहुंचाया जा रहा है।
डिप्टी सीएम ने बताया कि जीएसटी की शुरुआत 1 जुलाई 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, जिसकी परिकल्पना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी। इसका मूल मंत्र “एक राष्ट्र, एक कर” है। जीएसटी लागू होने से पहले देश में 17 प्रकार के टैक्स और 13 तरह के सेस वसूले जाते थे। इस कारण आम जनता और व्यापारियों पर कर का बोझ बढ़ता चला जाता था। इस जटिलता को समाप्त करने के लिए “वन नेशन, वन टैक्स” की व्यवस्था लागू की गई।
अरुण साव ने कहा कि जीएसटी लागू करना आसान नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति और सभी राज्यों के सहयोग से यह संभव हो सका। उन्होंने बताया कि कौंसिल की अब तक की सभी बैठकें सर्वसम्मति से हुई हैं, जिसमें हर राज्य के वित्त मंत्री शामिल रहते हैं।
डिप्टी सीएम ने आगे कहा कि 2017 से पहले टैक्स व्यवस्था को “इन डायरेक्ट टैक्स” कहा जाता था। जीएसटी के लागू होने के बाद अब तक 85 लाख से अधिक टैक्स पेयर इस प्रणाली से जुड़ चुके हैं। जीएसटी ने न सिर्फ कर प्रणाली को सरल बनाया, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में भी अहम योगदान दिया है।
उन्होंने जानकारी दी कि किसान उपकरण, पनीर, किताबें, कॉफी और दैनिक उपयोग की कई वस्तुओं पर जीएसटी की दरें घटाई गई हैं। इसका सीधा फायदा आम उपभोक्ताओं को मिल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी आने वाले समय में भारत के आर्थिक ढांचे को और मजबूत करेगा और 2047 तक “भारत निर्माण” की नींव को और सुदृढ़ बनाएगा।