Friday, November 14, 2025
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सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ और धान खरीदी ऑपरेटर संघ की हड़ताल जारी: कर्मचारियों ने कहा – जब तक मांगें नहीं मानी जातीं, धान खरीदी से रहेंगे दूर…

बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ एवं समर्थन मूल्य धान खरीदी कंप्यूटर ऑपरेटर संघ की अनिश्चितकालीन हड़ताल गुरुवार को लगातार 12वें दिन भी जारी रही। चार सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू हुई यह हड़ताल अब प्रदेशव्यापी रूप ले चुकी है। संभागीय स्तर पर धरना-प्रदर्शन के बावजूद शासन से अभी तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने से कर्मचारियों में गहरी नाराज़गी देखी जा रही है।

गुरुवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में महासंघ के पदाधिकारियों ने अपने संघर्ष और मांगों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश की 2058 सहकारी समितियों और 2739 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से लगभग 15 हजार कर्मचारी किसानों को सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। बावजूद इसके, वर्षों से उन्हें नियमित वेतन, स्थायित्व और मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है।

मुख्य मांगें

हड़ताली कर्मचारियों ने शासन से चार प्रमुख मांगें रखी हैं—

  1. वर्ष 2023-24 और 2024-25 की धान खरीदी में हुई सुखत राशि का भुगतान समितियों को किया जाए।
  2. परिवहन पश्चात संपूर्ण सुखत राशि समितियों को प्रदान की जाए।
  3. आउटसोर्सिंग प्रणाली को समाप्त कर कंप्यूटर ऑपरेटरों का नियमितीकरण किया जाए।
  4. मध्यप्रदेश की तर्ज पर 3 लाख रुपए वार्षिक प्रबंधकीय अनुदान एवं वेतनमान प्रदान किया जाए।

पदाधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक और अपर मुख्य सचिव द्वारा जारी पत्रों में इन मांगों पर विचार का आश्वासन दिया गया था, किंतु अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो वे आगामी धान खरीदी कार्य से स्वयं को पूर्ण रूप से अलग कर लेंगे।

प्रेस वार्ता में एकलव्य चंद्रा (जिला अध्यक्ष, सक्ति), रूद्रदत्त तिवारी (महासचिव, बिलासपुर संभाग), भोलाराम यादव (जिला अध्यक्ष, मुंगेली), कमलकांत पाटनवार (जिला अध्यक्ष, सहकारी समिति बिलासपुर), विद्याशंकर यादव और मीनाक्षी यादव (प्रदेश उपाध्यक्ष, कंप्यूटर ऑपरेटर संघ) सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

कर्मचारियों में बढ़ता आक्रोश

महासंघ के सदस्यों ने कहा कि किसानों की सेवा में लगे इन कर्मचारियों की मांगें न्यायोचित हैं। वर्षों से वे सीमित संसाधनों में कार्य कर रहे हैं, फिर भी शासन ने अब तक उनकी समस्याओं के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। कर्मचारियों ने चेताया कि यदि उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो यह आंदोलन आगे और उग्र रूप ले सकता है।

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