केंद्र सरकार एक ऐसा प्रावधान करने पर विचार कर रही है जिसके तहत मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियों को किसी प्रतिकूल स्थिति में मरीज को मौद्रिक राहत की पेशकश करनी होगी. यह कदम इन शिकायतों के बाद उठाया जा रहा है कि दिग्गज फार्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की एक इकाई द्वारा त्रुटिपूर्ण तरीके से ‘हिप इंप्लांट’ किए जाने के कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. सरकार ने ऐसे मामलों के मूल्यांकन के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. यह समिति बताएगी कि पीड़ितों को मुआवजे के तौर पर कितनी धनराशि दी जाए.
मेडिकल उपकरण नियम, 2017 के तहत यह प्रावधान करने के बारे में विचार किया जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि प्रावधान के मुताबिक, यदि उपकरण के कारण मरीज को कोई चोट या जख्म आती है, यदि उपकरण असुरक्षित साबित होता है, ठीक तरीके से काम नहीं करता है या लाइसेंस नियमों के अनुकूल नहीं है तो कंपनियों को मरीजों को मुआवजा देना होगा. मामले की गंभीरता के आधार पर मुआवजे की राशि तय की जाएगी. अधिकारी ने कहा, ‘नियमों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इसे अधिसूचित कर दिया जाएगा.