साध्वी से रेप के दोषी राम रहीम ने कोर्ट में खुद के बचाव में कई झूठे तथ्य पेश किए थे. यह बात अलग है कि विशेष सीबीआई अदालत के आगे राम रहीम की एक न चली और जज ने तथाकथित बाबा के वकीलों के तथ्यों को नकार दिया. कोर्ट ने राम रहीम को दो साध्वियों से रेप का दोषी करार दिया. जब 25 अगस्त को डेरा प्रमुख राम रहीम को साध्वी बलात्कार केस में दोषी करार दिया जा रहा था तो उसने इससे बचने के लिए दावा किया था कि वह सन् 1990 से नपुंसक है. सुनवाई से पहले राम रहीम ने अपने बचाव में कहा था कि वह 1990 से किसी भी प्रकार का शारीरिक संबंध बनाने में सक्षम नहीं है, इसलिए दो साध्वियों के साथ 1999 में रेप करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है. आपको बता दें कि साध्वियों के साथ बलात्कार के मामले में साल1999 में अगस्त और सितंबर में राम रहीम के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.
25 अगस्त को जब पंचकुला में सीबीआई कोर्ट में राम रहीम को दोषी करार दे दिया गया था तो उसके समर्थकों ने हिंसा कर दी थी. इस हिंसा में 38 लोगों की मौत और 250 से ज्यादा घायल हो गए थे.गौरतलब है कि सीबीआई जज जगदीप कुमार के सामने पेश होने से पहले राम रहीम का स्टेटमेंट रिकॉर्ड किया गया था जिसमें उसने कहा था कि वह मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं था, ऐसे में किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाना दूर की बात है और वह नपुंसक है. राम रहीम का कहना था कि उसके लगे रेप के चार्ज को हटा देना चाहिए.
इस पर जज ने कहा कि राम रहीम के गवाह ने कहा था कि उसकी दो बेटियां है इसलिए उनके दावा बेबुनियाद है. डेरा हॉस्टल की दो वॉर्डन ने बताया था कि राम रहीम की दो बेटियां 1999 से इस हॉस्टल में रह रही थीं, इसलिए सीबीआई जज ने राम रहीम के नपुंसक होने वाले दावे को दरकिनार कर दिया था. जज ने कहा था कि इससे आरोपी का पुरुषुत्तव साबित होता है. दो बेटी होने से पता चलता है कि आरोपी के दावे में कोई भी सच्चाई नहीं है. सोमवार 28 अगस्त को राम रहीम को बीस साल की सजा सुनाते हुए जज ने उसे जंगली जानवर करार देते हुए कहा था कि इसकी तरह के बलात्कारी किसी भी प्रकार की दया के हकदार नहीं हैं.