उत्तर प्रदेश में एक बार फिर रेल हादसा हुआ है. गुरुवार सुबह सोनभद्र जिले में शक्तिपुंज एक्सप्रेस के 7 डिब्बे पटरी से उतर गए हैं. अभी इस हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. देश का रेलमंत्री तो बदल गया लेकिन हादसे रुक नहीं रहे हैं.
पिछले दिनों लगातार हुए रेल हादसों के बाद सुरेश प्रभु ने पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद कैबिनेट विस्तार हुआ और पीयूष गोयल को रेलमंत्री बनाया गया. लेकिन अभी पद संभाले एक हफ्ता भी नहीं हुआ कि रेल हादसा हो गया.
हाल ही में हुए एक के बाद एक एक्सीडेंट के बाद रेलवे सवालों के घेरे में आ गया है. ऐसे में गोयल की सबसे बड़ी जिम्मेदारी वापस से लोगों का भरोसा रेलव में लाने की होगी. पदभार संभालने के बाद गोयल ने ट्वीट किया कि भारत के लोगों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी, गतिशीलता और सेवा की दिशा में काम करने का लक्ष्य है.
है कांटों भरा ताज!
रेल मंत्रालय का काम संभालना किसी कांटों भरे ताज से कम नहीं है. 23 अगस्त को प्रधानमंत्री से मुलाकात करने के बाद से प्रभु कार्यालय नहीं आए और पिछले महीने हुई दुर्घटनाओं के बाद इस्तीफे की पेशकश की थी. गोयल को इस तथ्य से मदद मिलेगी कि प्रभु ने लंबी अवधि के वित्त प्रबंधन और रेल विकास प्राधिकरण स्थापित करने की दिशा में कदम उठाए हैं. उन्होंने ऐसी नींव रखी है जिसके आधार पर गोयल आधुनिकीकरण, क्षमता विस्तार और तकनीकी उन्नयन का निर्माण तेज कर सकते हैं, जो कि धन की कमी के कारण लेट हुई.
हालांकि, नौकरशाह को संभालना गोयल के लिए सबसे बड़ी चुनौती होने वाली है. नौकरशाह का अच्छे से इस्तेमाल ही उनकी सफलता की कुंजी होगी. नौकरशाह का काम करने का तरीका आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में बाधा है. प्रभु लगातार प्रयासों के बावजूद रेल नौकरशाही को वश में करने में विफल रहे. गोयल ने कहा कि तीन साल में भारी निवेश किया गया है जो निश्चित रूप से रेलवे को विकास की ओर ले जाएगा.