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बिलासपुर पुलिस को मिली बड़ी सफलता, एटीएम से धोखाधड़ी करने वाला अंतर्राज्यीय गिरोह पकड़ाया

एटीएम से धोखाधड़ी करने वाला अंतर्राज्यीय गिरोह चढ़ा पुलिस के हत्थे।

बिलासपुर। प्रदेश के कई जिलों में सक्रिय एटीएम के माध्यम से धोखाधड़ी करने वाले गिरोह को पकड़ने में बिलासपुर पुलिस को बड़ी सफलता मिली है वही गिरोह के सरगना अभी भी पुलिस के चंगुल से बाहर है। जिन्हें पकड़ने पुलिस लगातार हर संभव प्रयास कर रही है। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में एटीएम से पैसे निकालने वाले व्यक्तियो के एटीएम बदलकर खाते से लाखों रुपये की धोखाधड़ी कर रकम हड़पने की वारदात को गिरोह बनाकर अंजाम दिया करते थे जिसे बिलासपुर पुलिस को 2 नाबालिक सहित 4 आरोपियों को पकड़ने में बड़ी सफलता हासिल हुई है ।परंतु गिरोह के सरगना और मास्टर माइंड अजीत कुशवाहा एवं अंकुर सिंह भागने में कामयाब हो गए। पकड़े गए गिरोह के सदस्यों ने पुलिस को बताया कि एटीएम से पैसे की धोखाधड़ी करने वाले सभी आरोपियों की आपसी पहचान जेल में हुई थी मुख्य सरगना अजीत जो कि हत्या के मामले में दोषी भी रहा है। और अंकुश चोरी की वारदातों को अंजाम देता था कि मुलाकात भाटापारा जेल में हुई थी जहाँ सभी ने जेल से निकलने के बाद एटीएम से धोखाधड़ी की वारदातों को गिरोह बनाकर अंजाम देने की योजना बनाई थी। जिन्होंने छत्तीसगढ़  के बहुत से जिलो में एटीएम बदल बदल कर लोगो के खातों से लाखों रुपये निकालने की घटना को अंजाम देना स्वीकार किया है यही नही अन्य राज्यो जैसे उत्तर प्रदेश ,बिहार और मध्य प्रदेश में भी 100 से अधिक वारदातों को अंजाम दिया जाना काबुला है। इन सभी मामलों में पुलिस को लगातार शिकायत मिल रही थी जिसके तहत गिरोह को पकड़ने के लिए पुलिस निरंतर प्रयास कर रही थी बिलासपुर के बिल्हा क्षेत्र से सूचना मिली की बिल्हा क्षेत्र में चार पहिया वाहन डस्टर कार में कुछ संदेहियों को देख गया है जहा पुलिस की विशेष टीम ने धरपकड़ करने घेराबंदी कर आरोपियों को पकड़ने में बड़ी सफलता मिली । जिनसे पुलिस के द्बारा कड़ाई से पूछताछ करने पर पकड़े गए आरोपियों ने गिरोह बनाकर धोखाधड़ी का जुर्म कबूल किया है और धोखाधड़ी के मास्टर माइंड के नाम बताए। आरोपियों में लव कुमार,राकेश कुमार,तथा 2 अन्य नाबालिक थे। पुलिस को आरोपियों के पास से डस्टर कार ,सोना,जमीन और बहुत सारे एटीएम कार्ड भी मिले है। आरोपियों ने बताया कि एटीएम के बाहर से वह पैसा निकालने वालो पर नज़र रखते थे और ट्रांजेक्शन नही होने पर मद्दत करने के बहाने उनके एटीएम को बदल दिया जाता था।

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