देश के विभिन्न हिस्सों में आज राष्ट्रगान गाने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाए जा रहे हैं, उसे सिनेमाघरों में अनिवार्य बनाए जाने के विरोध में दलीलों की दीवार खड़ी की जा रही है. ऐसे समय में पंजाब के शहर व शहीेद आजम भगत सिंह की धरती नवांशहर के न्यायाधीशों ने एक नई शुरुआत की है. उन्होंने लोगों में देशप्रेम का जज्बा पैदा करने के लिए नई पहल की है.
न्यायधीशों ने फैसला किया है कि वे अपना काम शुरू करने से पहले राष्ट्रगान गाएंगे. जिला न्यायिक कांप्लेक्स के सभी जज अब अपना कोई भी अदालती काम शुरू करने से पहले एकत्रित होकर राष्ट्रगान जन गण मन गाएंगे. जिला कानूनी सेवाएं अथॉरिटी के सचिव कम सीजेएम परिंदर सिंह ने बताया कि जिला एवं सेशन जज एएस ग्रेवाल के प्रयास से यह शुरुआत की गई है. इस अनोखी पहल को शुरू करने का श्रेय जिला एवं सेशन जज एएस ग्रेवाल, अतरिक्त जिला सेशन जज मुनीष सिंघल व रूपिंदरजीत चाहल, डिस्ट्रिक्ट जज फैमिली कोर्ट जतिंदर कौर, सिविल जज सिविल डिवीजन राजविंदर सिंह, सीजेएम युक्ति गोयल व परिंदर सिंह, एडिशन सिविल जज सीनियर डिवीजन अमन शर्मा, ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट क्लास वन तनवीर सिंह व हर्षवीर सिंह सिद्धू को जाता है. न्यायमूर्तियों का कहना है कि राष्ट्रीय गान न सिर्फ हमारी पहचान है. यह हमारी आन, बान और शान का प्रतीक है. यह विश्व का सर्वश्रेष्ठ गान है.
भारत सरकार ने 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान के रूप में पेश किया गया. तभी से पूरे देश के दिलों में यह धड़कता है. शायद यह भारत की पहली ऐसी कोर्ट है, जिसमें न्यायाधीशों ने खुद पहले करके अपने घर से यह सार्थक शुरुआत की है. सुप्रीम कोर्ट के सिनेमाघरों में फिल्म की शुरुआत राष्ट्रगान से करने के फैसले के विरोध ने नवांशहर के न्यायाधीशों के दिल को ठेस पहुंचाई. इसके बाद लोगों की सोच को बदलने के लिए माननीयों ने ऐसी शुरुआत कर नजीर पेश की है. उनका मानना है कि देश से बढ़कर कुछ नहीं है. उनका कहना है कि राष्ट्रगान के सम्मान के लिए क्या हम 52 सेकेंड के लिए खड़े भी नहीं हो सकते. एक तरफ हमारे फौजी सियाचिन जैसी जगह पर दिन-रात ड्यूटी कर देश की रक्षा करते हैं और दूसरी तरफ राष्ट्रगान का सम्मान करने तक में परेशानी है.