बुजुर्ग माता-पिता का साथ छोड़ने वालों को होगी 6 महीने की सज़ा!
सर्वे में पता चला है कि बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के जितने मामले दर्ज होते हैं, असल में उनकी संख्या कहीं और ज्यादा होती है
अपने बुजुर्ग माता-पिता को लाचारी में छोड़ने वाले बच्चों को मिलने वाली जेल की सजा 3 महीने से बढ़ाकर 6 महीने हो सकती है. केंद्र सरकार जल्द ही इस बारे में नया कानून ला सकती है.
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण कानून, 2007 में सुधार कर रहे सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्रालय ने बच्चों की परिभाषा सुधारने की भी सिफारिश की है.
मंत्रालय के एक आला अधिकारी का कहना है कि बच्चों की परिभाषा में दत्तक या सौतेले बच्चों, दामाद और बहुओं, पोते-पोतियों, नाती-नातिनों और नाबालिगों को भी शामिल करने की सिफारिश की गई है. फिलहाल सगे बच्चे और पोते-पोतियां इसमें शामिल हैं.
मंत्रालय ने इसके लिए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल, कल्याण कानून , 2018 का मसौदा तैयार कर लिया है. कानूनी ठप्पा लगने के बाद यह 2007 के पुराने कानून की जगह लेगा. कानून में मासिक देख-भाल भत्ता की 10,000 रुपए की अधिकतम सीमा को भी समाप्त कर दिया गया है.
बच्चे मां-बाप की देखभाल करने से इनकार कर देते हैं तो वे अदालत की शरण में जा सकते हैं.
सर्वे में पता चला है कि बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के जितने मामले दर्ज होते हैं, असल में उनकी संख्या कहीं ज्यादा होती है. सामाजिक बंधनों और लोक-लाज के कारण ज्यादातर मामले दर्ज नहीं हो पाते. इससे छुटकारा दिलाने के लिए सरकार इस कानून को और सख्त करने जा रही है.
हेल्प-एज इंडिया का एक सर्वे बताता है कि बुजुर्गों को सार्वजनिक जगहों पर कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सर्वे में 44 प्रतिशत बुजुर्गों ने माना कि घर से बाहर उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता, जबकि घर में भी उन्हें प्रताड़ित किया जाता है.
यूपीए सरकार के दौरान यह कानून बना था जिसमें बुजुर्गों का खयाल न रखने वाले बच्चों को जेल की सजा देने का प्रावधान किया गया. कानून में यह भी दर्ज है कि या तो बुजुर्गों का खयाल रखा जाए या उन्हें मासिक अधिकतम 10 हजार रुपए का भत्ता दिया जाए.