देश के लिए सभी जंग लड़ने वाले जनरल के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचा मोदी सरकार का कोई मंत्री
देश के लिए सभी जंग लड़ने वाले लेफ्टिनेंट जनरल जोरावर चंद बख्शी का 24 मई को 97 साल की उम्र में निधन हो गया था. 25 मई को उनका अंतिम संस्कार किया गया. लेकिन उनके अंतिम संस्कार में ना तो सरकार का कोई मंत्री पहुंचा और ना ही सेना का कोई अधिकारी.
लेफ्टिनेंट जनरल जोरावर चंद बख्शी ने देश के लिए सभी जंग में हिस्सा लिया था. लेकिन सरकार की ओर से एक सैनिक के अंतिम संस्कार को इस तरह से अनदेखा कर देना बड़ा दु:खद है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी से साथ काम कर चुके मेजर जनरल (रिटायर्ड) अशोक मेहता ने इंडियन एक्सप्रेस के लिए एक लेख लिखा है. इसमें उन्होंने कहा कि ले. जनरल बख्शी भारत के सच्चे मिलिट्री आइकन थे. वह देश के महानतम सैनिक थे. भारत का यह सपूत बेहतर अंतिम विदाई का हकदार था, लेकिन सरकार ने उसको अनदेखा कर दिया.
ले. जनरल बख्शी का निधन नहीं हुआ है, बल्कि उनको भुला दिया गया है. उनके कम दर्जे के सैनिकों को सरकार की तरफ से बहुत कुछ मिला. लेकिन ले. जनरल बख्शी की अंतिम विदाई में शामिल होने के लिए सरकार के पास समय नहीं था, क्योंकि ले. जनरल बख्शी पूरी तरह से एक गैरराजनीतिक व्यक्ति थे.
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार जवानों के लिए समर्पित होने का ढिंढोरा पीटती है. लेकिन उनकी सरकार में भी ले. जनरल बख्शी को सम्मानजनक अंतिन विदाई नहीं मिली. ले. जनरल बख्शी की अंतिम विदाई में कोई मंत्री शामिल नहीं हुआ.
उन्होंने आगे लिखा, क्या भारत का सैन्य इतिहास ले. जनरल बख्शी के बिना लिखा जा सकता है. ले. जनरल बख्शी ने देश के लिए सभी लड़ाईयों में हिस्सा लिया था. वह एक शूरवीर थे. मेहता ने कहा कि ले. जनरल बख्शी को उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया था, इसके अलावा उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल और महावीर चक्र से भी नवाजा गया था.