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आरक्षण में संसोधन किसी भी सूरत में स्वीकार नही…अखिल भारतीय एससी-एसटी महापंचायत

बिलासपुर। अखिल भारतीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोविंद सिंह परमार ने आज प्रेसवार्ता में आदिवासियों एवं दलितों को संविधान से प्राप्त आरक्षण में संसोधन किसी भी सूरत में महापंचायत दलित समाज स्वीकार नही करने की बात कही है।

गौरतलब है कि अखिल भारतीय अनुसूचित जाति एवं जन जाती महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2014 से 2016 के मध्य दलित बाहुल्य राज्यो में उनके साथ अपराध की संख्या में 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा 51 प्रतिशत दलित उत्पीड़न के मामले बढ़े है। उन्होंने नेशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राष्ट्र में लगभग 40 करोड़ की एसएसटी जनसंख्या निवास करती है जो किसी भी राजनैतिक दल की मुखौटे को बदलने सक्षम है। उन्होंने कहा कि देश मे दलित उत्पीड़न के मामले में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है जहाँ 10 हजार, 4 सौ 26 दूसरे में बिहार जहां 5 हजार 7 सौ, राजस्थान एवं आंध्रप्रदेश की भूमिका का वर्णन करते हुए बताया की जो आंकड़े प्रस्तुत किये गए है वह एनसीआरबी की 2016 की रिपोर्ट के आधार पर है लेकिन वर्तमान में जमीनी हकीकत आंकड़े से कई गुना अधिक है। लगभग 30 प्रतिशत एससी-इसटी दलित एफआईआर दर्ज नही कर पाते जबकि 20 प्रतिशत मामलों में बाहुबलियों द्वारा दलित गरीबो को चुपचाप अत्याचार सहन करने विवश किया जा रहा है। महापंचायत की स्थापना के सम्बंध में उन्होंने बताया कि यह संगठन किसी भी राजनीतिक दलों से पृथक है जिसमे शासकीय, अर्धशासकीय, सामाजिक कार्यकर्ता, किसान, मजदूर एवं महिलाओं ने दलित हित मे काम करने की भूमिका निभा रहे है तथा जिसके लिए देश के 635 जिलों की प्रत्येक इकाई में कार्यकारिणी गठन करने हर संभव प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा कि देश-विदेश में लगभग 3400 संगठन बाबा साहेब अंबेडकर, महात्मा ज्योति फुले, जगजीवन राम, कासी राम एवं दलितों के उत्थान में अपना अमूल्य सहयोग देने वाले महापुरुषों के नाम से पंजीयन कराया जा चुका है सभी दलित हित के लिए लगातार काम कर रहे है। एससी-एसटी महापंचायत का 40 प्रतिशत होमवर्क पूर्ण किया जा चुका है तथा अतिशीघ्र देश की राजधानी दिल्ली में अखिल भारतीय अनुसूचित जाती जन जाति के तत्वाधान में विशाल महारैली करने की योजना बनाई जा रही है जिसके लिए शासन का सहयोग की अपेक्षा रखती है। यही नही केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा दलित हित मे जो कल्याणकारी योजनाएं संचालित हो रही है उनका सफल क्रियान्वयन नही हो रहा है जिसके लिए प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हुए तत्काल कठोर निर्णय लेकर सफल संचालन किये जाने की मांग की गई है।

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