ताज़ाख़बर36गढ़:- आगरा के बागपत जेल में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या की एक वजह जेल के कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक की ड्यूटी के प्रति लापरवाही भी रही। इसी कारण जेल अपराधियों के लिए अय्याशी का अड्डा बन गई थी। वहां सिर्फ पिस्टल ही नहीं, मोबाइल, चाकू, स्मैक और अन्य सामान भी आसानी से जा रहा था। आगरा के डीआईजी जेल संजीव त्रिपाठी की जांच पड़ताल में ये तथ्य सामने आए हैं।
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जानकारी के अनुसार जेल में पिस्टल कब और कैसे पहुंची, इसका जांच रिपोर्ट में उल्लेख नहीं है, यह स्पष्ट है कि सुनील राठी की बैरक की कभी तलाशी नहीं ली गई जबकि वो लगभग एक साल से बंद है। लेकिन उसके मुलाकातियों की न तो चेकिंग की जाती थी और न ही रजिस्टर में एंट्री दर्ज होती थी।इस बारे में संजीव त्रिपाठी का सिर्फ इतना ही कहना है कि वह जांच कर जल्द ही रिपोर्ट देंगे।
मुन्ना बजरंगी की हत्या के थोड़ी देर बाद ही सुनील राठी की निशानदेही पर एक पिस्टल जेल के गटर से बरामद की गई। कहा गया कि इसी से मुन्ना बजरंगी पर गोली चलाई गई थी। यह पिस्टल परीक्षण के लिए आगरा की विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजी जानी थी लेकिन अभी तक नहीं भेजी गई है। जेल विभाग के सूत्रों का कहना है कि अफसरों को इस पर भी शक है कि यह वही पिस्टल है जिससे बजरंगी पर गोली चलाई गई।
सुनील राठी ने इसे बड़ी आसानी से बरामद करा दिया। अधिकारियों का मानना है कि राठी जैसा शातिर अपराधी इतनी आसानी से अपने खिलाफ साक्ष्य देने वाला नहीं है। हो सकता है कि उसने कोई और पिस्टल बरामद करा दी हो ताकि परीक्षण में यह साबित हो जाए कि इससे गोली नहीं चली। इसका उसे फायदा मिलेगा। यही कारण है कि केस का खुलासा होने तक पिस्टल को परीक्षण के लिए भेजने का इंतजार किया जा रहा है।