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स्वास्थ्य

रिपोर्ट में खुलासा: जहरीला हो चुका है देश के 50 फीसदी से ज्यादा जिलों का ग्राउंड वाटर

(ताज़ाख़बर36गढ़) शहर से लेकर गांव तक में हो रही नवनीकरण का ये हस्र हुआ है कि देश के 50 प्रतिशत से ज्यादा जिलों को भूजल पीने लायक नहीं हैं। केंद्र सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार भूजल में नाइट्रेट के साथ ही साथ फ्लोराइड, आयरन, आर्सेनिक और दूसरे खतरनाक धातुओं की मात्रा भी बढ़ गई है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार उद्योग और फैक्ट्रियों से निकलने वाले कचरों से भूजल दूषित हो रहा है। यहां तक कि खेत में अच्छी पैदावर के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले खाद और कीटनाशक के लगातार प्रयोग से भूजल में नाइट्रेट की मात्रा अत्यधिक बढ़ गई है।

भारतीय मानक ब्यूरो जो कि ये हिसाब रखता है कि भूजल में किस धातु की मात्रा कितनी होनी चाहिए उसने अपने रिपोर्ट्स में बताया कि भारत के 50 प्रतिशत जिलों के भूजल में धातुओं की मात्रा ब्यूरो के तय मानकों से बहुत अधिक है।

जल संसाधन राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि देश के 386 जिलों के भूजल में नाइट्रेट, 335 जिलों में फ्लोराइड, 301 जिलों में आयरन, 212 जिलों में सैलिनिटी,153 जिलों में आर्सेनिक, 93 जिलों में लेड, 30 जिलों में क्रोमियम, 24 जिलों में कैडियम जैसी जहरीली धातुओं की मात्रा भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तय की गई मानकों से कई ज्यादा हैं।

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डबल्यूएचओ के अनुसार इसका दुषपरिणाम इतना भयानक है कि इससे इंसान ही नहीं जानवर भी इस जहरीले पानी का शिकार बनते जा रहे है। वहीं नाइट्रेट की अत्यधिक मात्रा वाले भूजल इंसान की शरीर में मेथेमोग्लोबिनेमिया जैसी बीमारियां पैदा करते हैं। ऐसे में रक्त द्वारा शरीर में ऑक्सीजन की संचालन शक्ति में कमी आ जाती है। वहीं आर्सेनिक की अधिक मात्रा वाला पानी स्कीन कैंसर और किडनी, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का कारण बनता है।

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