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छत्तीसगढ़राजनीति

तो क्या नही संभल रहा पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी का कुनबा

(बिलासपुर ताज़ाख़बर36गढ़) छत्तीसगढ़ की सियासत के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की मुश्किलें इन दिनों बढ़ती नजर आ रही हैं जैसे-जैसे चुनावी सरगर्मी प्रदेश में तेज हो रही है वैसे वैसे राजनीतिक नफे-नुकसान को देखते हुए नेताओं का पार्टियों को छोड़ना व नई पार्टियों में जाने का सिलसिला तेज हो गया है।

वर्तमान में दल बदलने की ऊहापोह में अजीत जोगी की पार्टी घिरी हुई नजर आ रही है पिछले 48 घंटों के अंदर श्री जोगी की पार्टी के यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष विनोद तिवारी ने अपने हजारों समर्थकों के साथ पार्टी को छोड़ दिया और यह आरोप लगाया कि श्री जोगी और उनकी पार्टी कांग्रेस को हराने का कार्य कर रहे हैं और वह अपनी मूल पार्टी कांग्रेस में वापस लौट गए। इसी के साथ पूर्व विधायक डोमेंद्र भेड़िया नेभी जोगी का साथ छोड़ कर अपनी मूल पार्टी कांग्रेस में घर वापसी कर ली बिलासपुर की पूर्व मेयर श्रीमती वाणी राव जो श्री जोगी किसकी पार्टी का हाथ थाम चुकी थी वह भी कांग्रेस में वापसी कर चुकी हैं और आए दिन कांग्रेस पार्टी में जोगी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के आने की खबरें आती रहती है। इससे कांग्रेस की बांचे खिल उठी है कहां तो 23 जून 2016 को छेत्रीय राजनीति के मुद्दे पर बनी पार्टी एक नए जोश और नए उद्देश्य के साथ आगे बढ़ रही थी वही हाल में लगातार नेताओं की पार्टी से बड़ा अलगाव पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है।

यूँ तो छत्तीसगढ़ की सियासत पर नजर रखने वाले छत्तीसगढ़ की सियासत को इतना दिलचस्प नही समझते थे पर अजीत जोगी की नई पार्टी बना लेने की वजह से छत्तीसगढ़ की सियासत में एक दिलचस्प मोड़ आगया था। मगर चुनाव से पहले जिस तरह की खबरें मिल रही है उसे राजनीतिक विश्लेषक पार्टी के लिए चिंता का विषय बता रहे हैं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी जिस तरीके से अपने खोये हुवे काडर को अपनी पार्टी से पुनः जोड़ पाने में या जोड़े रखने में कहीं ना कहीं कामयाब नज़र रही है तो वही रायपुर कलेक्टर आईएएस ओपी चौधरी का इस्तीफा भारतीय जनता पार्टी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है उनके आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बनने को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। चौधरी को राज्य के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में शिक्षा में बदलाव लाने का श्रेय दिया जाता है। उनके भाजपा के टिकट से रायगढ़ जिले के प्रतिष्ठित खारसिया सीट से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह प्रयोग एक नए तरह के राजनीतिक समीकरण को जन्म देगा जो छत्तीसगढ़ का राजनीतिक परिदृश्य बदल सकता है।खरसिया विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ के प्रमुख विधानसभा सीट में से एक है। यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है और यहां से अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह भी चुनाव लड़ चुके हैं।

हाल ही में आए ABP सी-वोटर के सर्वे में यह तस्वीर साफ कर दी है छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बन सकती है 53 सीटों के साथ बड़े बहुमत की तरफ सर्वे ने इशारा किया है वही भाजपा को 34 सीटें मिलने का अनुमान बताया है तो जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ यानी जोगी की पार्टी को सिर्फ 1 सीट पर ही संतोष करना पड़ सकता है और इस सर्वे के आने के बाद से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी जोश और उत्साह नजर आ रहा है वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के खेमे में मंथन का दौर तेज हो गया है। बेशक श्री जोगी छत्तीसगढ़ के कद्दावर और लोकप्रिय नेता परंतु हाल ही में आए सर्वे ने यह बात स्पष्ट कर दी है कि छत्तीसगढ़ की जनता अपनी टू पार्टी डेमोक्रेसी के तरफ बढ़ती नजर आ रहा है जिसमें मूलतः कांग्रेस और बीजेपी के बीच प्रतिस्पर्धा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है किसी जोगी के पास छत्तीसगढ़ में 7 फीसद वोट है जो चुनाव में श्री जोगी के साथ जुड़ा रह सकता है वही श्री जोगी विजय यात्रा में निकले हुए हैं जिस पर आ रहे जनसमर्थन को देखकर यह कहा जा सकता है कि जोगी की ताकत को कम करके आँका नहीं जा सकता चुनाव को 3 महीने से भी कम वक्त रह गया है और अब जो कुछ भी तय करना है वह प्रदेश की जनता को तय करना है। और आने वाले वक्त में कई नेताओ के इसी तरह के कई और दल-बदल देखने को मिल सकते हैं।

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