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बिलासपुरमनोरंजन

आत्मकथा: आवर्तन थिएटर ग्रुप बिलासपुर ने दी दिल को छू जाने वाली नाटक प्रस्तुति… दर्शकों के मन में छोड़ी़ छाप…

बिलासपुर-(ताज़ाख़बर36गढ़) आवर्तन थिएटर ग्रुप बिलासपुर ने प्रतिष्ठित लेखक राजाध्यक्ष के निजी जीवन व उनकी रचना प्रक्रिया पर आधारित आत्मकथा का नाटक मंचन किया। नाटक के जरिए यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि कि कोई भी लेखक भौतिक रूप में मरता है, पर उनकी रचनाएं और पात्र कभी नहीं मरते। इसलिए किसी भी रचनाकार को अपने व्यक्तिगत राग-द्वेश से प्रेरित होकर किसी के चरित्र के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए। रविवार रात 8 बजे प्रियदर्शिनी भवन में कार्यक्रम की शुरुआत हुई। तालियों की गड़गड़ाहट से प्रियदर्शिनी भवन गूंजता रहा। नाटक का मंचन देखने के लिए भवन में सैकड़ों की संख्या में दर्शक मौजूद थे।

इस अवसर पर शहर के वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार सतीश जायसवाल ने इसे बेहतरीन प्रस्तुति बताया। सभी कलाकारों को धन्यवाद देते हुए कहा कि शहर में ऐसे हिंदी साहित्य एवं नाट्य कलाओं का आयोजन हमेशा होते रहने चाहिए। इससे हमारी संस्कृतिक विरासत समृद्ध होती है और हमारी संवेदनाओं का विसरत होता है। एसईसीएल के प्रियदर्शिनी कला मंदिर के सचिव हनीफी ने कहा ने अभी तक हम सिर्फ अग्रज नाटक कला समूह को ही जानते थे। आज से एसईसीएल में आवर्तन थिएटर ग्रुप को भी जाना जाएगा। ग्रुप के सभी कलाकारों ने सुंदर प्रस्तुति दी है। उन्होंने थिएटर की गंभीरता और अभिनय की बारीकियों के बारे में बताते हुए कहा कि थिएटर में कलाकारों को कभी री-टेक का मौका नहीं मिलता। आवर्तन ग्रुप के सभी कलाकार मंझे हुए हैं। उन्होंने आज इस नाटक का आयोजन बहुत ही खूबसूरती से किया। आज के बाद आवर्तन थिएटर ग्रुप बिलासपुर को नाटक की रिहल्सल के लिए यह एसईसीएल स्थित प्रियदर्शिनी क्लब हमेशा खुला रहेगा। नाट्य प्रस्तुतियों की बारीकियों और निर्देशन की विशिष्टता पर बात करते हुए सीवी रमन विश्वविद्यालय के कुलपति रविप्रकाश दुबे ने कहा कि आवर्तन थिएटर ग्रुप की प्रस्तुति शानदार रही है। ग्रुप के कलाकारों में कुछ कर दिखाने का जोश दिखाई दे रहा है। हम चाहते हैं कि आगे भी इस ग्रुप को हमारा और सभी बिलासपुर वासियों का सहयोग मिलता रहे।

रविवार को आवर्तन थिएटर ग्रुप बिलासपुर ने इंदिरा विहार एसईसीएल स्थित प्रियदर्शिनी भवन में नाटक आत्मकथा का आयोजन किया गया। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी साहित्य के असिस्टेंट प्रोफेसर कृष्ण सोनी ने इस नाटक का अनुवाद और निर्देशन किया है। नाटक में लेखक का जीवन जिस नाटकीय अंदाज में अभिव्यक्त किया गया है, वह भारतीय रंगमंच में अतुलनीय है। निर्देशक ने लेखक के जीवन को रचना प्रक्रिया के समानांतर जीवन के विविध रंगों के माध्यम से प्रस्तुत किया है। अभी तक ग्रुप ने एक रंग कार्यशाला, पंचलाइट का मंचन एवं शहर के कई हिस्सों में तीन नुक्कड़ नाटक का मंचन किया है। प्रोफेसर सोनी ने अब तक लगभग एक दर्जन नाटकों का निर्देशन किया है, जिसमें इंद्रजीत, आषाढ़ का एक दिन, अंधेर नगरी, प्रेम गली अति संकरी, आखिरी अदालत, नन्हों, पंच लाइट आदि शामिल हैं।

आवर्तन थियेटर ग्रुप बिलासपुर शहर के युवाओं का एक नाट्य दल है। इस थियेटर ग्रुप की स्थापना फ़रवरी 2018 में गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों एवं शहर के युवाओं एवं सांस्कृतिक कर्मियों ने की है।इसका मूल उद्देश्य रंगकर्म के माध्यम से सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश को ऊर्जावान बनाना और युवाओं के व्यक्तित्व के विकास में रंगमंच की भूमिका को समझाना और समझाना है।

जिसमें वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार सचिन शर्मा ने इस नाट्यकला की प्रस्तुति पर सभी युवाओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे हिंदी साहित्य एवं नाट्य कलाओं का आयोजन हमेशा होते रहने चाहिए। इससे हमारी संस्कृति का प्रचार प्रसार और लोकप्रियता बढ़ती है। कार्यक्रम को सफल बनाने में ग्रुप की सदस्य सोनाली श्रीवास्तव, अनु चक्रवर्ती, सुहाली जैन, श्रेया सोनी, रश्मि पांडेय, तृप्ति वाणी, अंकित, रजनीकांत वर्मा, विक्की, किशन आदि ने अपना सहयोग दिया। शहर के साहित्य और कला प्रेमी उपस्थित थे।

पात्र परिचय

राजाध्यक्ष की भूमिका में कृष्ण सोनी ने चरित्र को मंच पर जीवंत किया। प्रज्ञा की भूमिका सुहाली जैन ने बेहरीन ढंग से निभाया। उत्तरा और उर्मिला की भूमिका अनु चक्रवर्ती व श्रेया सोनी ने निभाई। वासंती व वसुधा की दोहरी भूमिका में तृप्ति वाणी ने दर्शकों को रोमांचित और चकित कर दिया। मीडिया मैनेजमेंट सोनाली श्रीवास्तव, लाइटिंग करण और संगीत समायोजन रजनीकांत वर्मा ने किया।

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