लचर प्रशिक्षण और प्रस्तावित पुलिस सुधारों पर राज्य सरकारों की बेरुखी से पुलिस बल का व्यवहार कठघरे में है। ब्यूरो आफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) की अलग-अलग रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश को भी कई राज्य सरकारें लागू नहीं कर पाई हैं।
बीपीआरडी की कई रिपोर्ट में पुलिस बल के व्यवहार पर भी सवाल उठाए गए हैं। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का कहना है कि पुलिस व्यवस्था लचर हालत में है। उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह की ओर से दायर केस में फैसले के कई साल बाद भी पुलिस सुधारों को लेकर कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। जिसकी वजह से पुलिस अपना पेशेवर स्वरुप खो रही है।
कमजोर प्रशिक्षण से कमजोरी
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का कहना है कि पुलिस प्रशिक्षण की हालत बहुत खराब है। जिसकी वजह से अनुशासनहीनता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि दो साल पुराने पुलिसकर्मी को आधुनिक पिस्टल थमा दी जा रही है। लेकिन उसे हथियार चलाने का प्रशिक्षण कायदे से नहीं दिया जा रहा।
सिफारिशों पर अमल नहीं
पुलिस प्रशिक्षण पर काम कर रहे लोगों का कहना है कि पुलिस स्थापना बोर्ड, पुलिस शिकायत ब्यूरो आदि सिफारिशों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद कई राज्यों में अमल नहीं हुआ। पुलिस अधिकारियों के कार्यकाल को लेकर भी सिफारिशें पूरी तरह लागू नहीं हुई। पूर्व डीजीपी विक्रम ने कहा कि पुलिसकर्मियों को सजा का डर नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ शिकायत का उचित सिस्टम नहीं है।
खौफ के चलते केस दर्ज कराने नहीं जाते
-बीपीआरडी की ओर से पुलिस के व्यवहार और उनकी कार्यप्रणाली पर कई अध्ययन कराए गए हैं।
– एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस के खौफ से ज्यादातर लोग थानों में प्राथमिकी दर्ज कराने नहीं जाते।
– करीब 75 फीसदी लोग पुलिस के गैर दोस्ताना व्यवहार की वजह से रिपोर्ट दर्ज कराने से गुरेज करते हैं।
– पुलिस के बातचीत करने के अंदाज और पेश आने के तौर तरीकों को लेकर कई सवाल अध्ययनों में उठाए गए हैं।
– एक रिपोर्ट में कहा गया कि ज्यादातर पुलिस की ओर से नैतिकता का पालन नहीं किया जाता।
– साथ ही इस रिपोर्ट में पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं।