बिलासपुर/ शीर्षक पढ़कर आश्चर्यचकित होना लाजिमी है, पर ये सच है। सत्ता सुख भोगने के लालच में एक शख्स अब बिलासपुर को छोड़कर पड़ोसी विधानसभा में भाग्य आजमाने निकल पड़े हैं। हम बात कर रहे हैं अनिल टाह की… जिन्होंने शहर विधानसभा में तीन बार भाग्य आजमाया, पर यहां की जनता ने उन्हें तीनों बार नकार दिया। अब वे पार्टी बदलकर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे से बेलतरा विधानसभा में मैदान मारने की जुगत में लगे हुए हैं।
पहले हम बेलतरा विधानसभा के जातीय और राजनैतिक समीकरण के बारे में बात कर लें। आजादी के बाद जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं। वहां की जनता ने ब्राह्मण समाज के प्रत्याशी को ही सिर-आंखों पर बिठाया है। चाहे भाजपा हो या फिर कांग्रेस पार्टी… अब फिर से चुनावी डंका बज चुका है। राजनैतिक समीकरण की बात करें तो 2003 से वहां लगातार भाजपा विजयी रही है। इसकी वजह भी साफ है, भाजपा ने तीनों बार ब्राह्मण प्रत्याशी पर भरोसा जताया। इसका सुखद परिणाम भी मिला। दरअसल, बेलतरा में 35 हजार से अधिक वोटर ब्राह्मण समाज से हैं। करीब 80 फीसदी वोटरों का आशीर्वाद समाज के प्रत्याशी को मिलता रहा है। लगातार ब्राह्मण समाज के प्रत्याशी के चुनाव जीतने से अब यह धारणा बन गई है कि यह सीट ब्राह्मण समाज के लिए रिजर्व हो चुकी है। भाजपा और कांग्रेस किस समाज से प्रत्याशी उतारती है, यह एक हफ्ते के अंदर पता चल जाएगा, लेकिन प्रदेश में क्षेत्रीय पार्टी के रूप में अपनी पैर जमा रही जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे ने इस विधानसभा में अनिल टाह पर भरोसा जताया है। इस भरोसे के पीछे बड़ा कारण भी है। जोगी जब प्रदेश में सीएम थे, तब उन्होंने उनकी इतनी सेवा-भक्ति की कि वे जोगी के करीब आ गए। 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से वरिष्ठ नेता स्व. बीआर यादव की विरासत के रूप में उनके पुत्र राजू यादव को टिकट मिल गया। तब अनिल टाह कांग्रेस से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। कांग्रेसियों ने भी पर्दे के पीछे से उनका खूब साथ दिया। हालांकि वे चुनाव नहीं जीत पाए और भाजपा के बाद वे दूसरे नंबर पर रहे। 2003 के विधानसभा चुनाव में जोगी ने उन्हें टिकट दिलवा दिया, लेकिन इस बार भी जनता ने उन्हें नकार दिया। 2008 के विधानसभा चुनाव में जोगी ने फिर उन पर भरोसा जताया, लेकिन बिलासपुर की जनता के लिए कुछ खास नहीं करने की वजह से फिर से वे चुनाव हार गए। दरअसल, अनिल टाह पूरे पांच साल तक बिलासपुर की जनता से दूरी बनाकर चलते थे और ऐन चुनाव के समय दो माह सक्रिय रहते थे। जनता यह समझ चुकी थी। अब जोगी ने क्षेत्रीय पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे बना ली है। भक्त अनिल टाह भी जोगी को छोड़ नहीं सकते। अलबत्ता, वे कांग्रेस से नाता तोड़कर वे जोगी के साथ चले गए हैं। जोगी ने अपने परम भक्त को इस बार पड़ोसी विधानसभा बेलतरा का प्रत्याशी का बनाया है।
बिलासपुर जिले की विधानसभा सीटों के लिए अनिल टाह कोई नया नाम नहीं है। जिले के वोटर उन्हें बखूबी जानते हैं। बेलतरा विधानसभा तो शहर से लगी हुई है। शहर के कई वार्ड बेलतरा में शामिल हैं। इसलिए जनता के बीच चर्चा है कि ये बिलासपुर छोड़कर बेलतरा क्यों आ गए। लगातार तीन बार जनता के नकारने के पीछे कुछ तो बात होगी। हालांकि अनिल टाह पिछले तीन माह से बेलतरा विधानसभा में एड़ी चोटी एक किए हुए हैं। बेलतरा विधानसभा स्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंट कराकर जनता का भरोसा जीतने की कोशिश की, लेकिन इसमें वे ज्यादा सफल नहीं हो पाए। दरअसल, बेलतरा की जनता भी समझ चुकी है कि अभी चुनावी बेला में अचानक नेता सक्रिय होते हैं और चुनाव के बाद भूल जाते हैं। ऐसे मौसमी नेताओं पर भरोसा करना खुद के साथ विश्वासघात करना होगा। उनके सुख-दुख में तो पांच साल तक सक्रिय रहने वाले नेता ही काम आते हैं।