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बिलासपुरराजनीति

बेलतरा विधानसभा: पिछला दो चुनाव, पर समीकरण एक जैसा…इस बार त्रिकोणीय मुकाबला…ये हैं वो वोटर, जो करते हैं विधायक का फैसला…


बिलासपुर/ प्रचार और जनसंपर्क के मामले में भाजपा और कांग्रेस से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रत्याशी अनिल टाह कई कदम आगे निकल गए हैं। पार्टी ने जब से उन्हें प्रत्याशी घोषित किया है, तब से जनता के बीच जाकर पार्टी की रीति को बता ही रहे हैं। साथ ही उनके सुख-दुख में भी शरीक हो रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी अभी उन लोगों को मनाने में लगे हैं, जिन्होंने बगावत कर निर्दलीय फार्म भर दिया है। इधर, दो बार के चुनावी नतीजों का विशलेषण करने से पता चलता है कि जिस उम्मीदवार को शहरी वोटरों का आशीर्वाद मिल गया, उनका विधानसभा पहुंचना तय है।

सत्र 2008 में नए परिसीमन के बाद बेलतरा विधानसभा अस्तित्व में आया। सीपत विधानसभा के कुछ हिस्सों को मस्तूरी में मिलाकर नई विधानसभा बेलतरा बनाई गई, जिसमें बिलासपुर शहर के कुछ वार्डों को भी शामिल किया गया है। पिछले दो चुनावी नतीजों का आंकलन करने पर पता चलता है कि 2008 में जब मतों की गिनती हुई तो ग्रामीण क्षेत्र से कांग्रेस लीड करते आई। जब ग्राम पंचायत कोनी के वोटों की गिनती हुई तो यहां से कांग्रेस की लीड कम हो गई।

मंगला पंचायत के वोटों की गिनती होते तक कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी के वोट लगभग बराबर हो गए। शहर के वार्डों में पड़े वोटों की गिनती शुरू होते ही भाजपा की लीड बढ़नी शुरू हुई, जो लिंगियाडीह पंचायत की मतगणना तक जारी रही और भाजपा प्रत्याशी ने चुनाव जीत लिया। कमोबेश यह स्थिति 2013 के चुनाव में रही। दोनों चुनावों के नतीजे से यह साफ हो गया है कि बेलतरा के भावी विधायक का फैसला शहरी वोटर करते हैं। इसलिए भाजपा-कांग्रेस के अलावा जनता कांग्रेस के फोकस में यही शहरी वोटर हैं।

शहरी वोटरों में अनिल टाह की खासी पैठ

2008 में हुए परिसीमन से पहले भी जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी अनिल टाह बिलासपुर विधानसभा से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। 1998 में इंजन छाप के साथ तो 2003 में कांग्रेस के टिकट से। उस समय शहर के सारे वार्ड बिलासपुर विधानसभा में शामिल थे। उस समय किए गए जनसंपर्क और मतदाताओं के भरोसे पर खरा उतरने का प्रयास अब रंग ला रहा है। जनता के बीच चर्चा है कि भाजपा प्रत्याशी रजनीश सिंह और कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र साहू को वो जानते हैं, लेकिन अनिल टाह से उनका पुराना रिश्ता है। जनता कह रही है कि 2003 और 2008 के चुनाव में भी वे कई बार आए थे और अब भी आ रहे हैं। हालांकि जनता अभी मौन है और वोट का फैसला करने के लिए इंतजार कर रही है, लेकिन संकेत यही है कि वे उनका ही चुनाव करेंगे, जो उनके सुख-दुख में बराबर का साथ देते आ रहा है।

शोभा टाह स्मृति स्वास्थ्य शिविर से जुड़े हैं लोग

जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी बनने के पहले से ही अनिल टाह अपनी पत्नी शोभा टाह की स्मृति में स्वास्थ्य शिविर आयोजित करते आ रहे हैं। शिविर में कई बीमारियों का नि:शुल्क इलाज कराते आए हैं। इस शिविर के माध्यम से भी शहरी वोटर उनसे सीधे जुड़े हुए हैं।

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