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‘द हिंदू’ समूह के चेयरमैन एन राम ने राफेल डील पर कहा- मनोहर पर्रिकर की भूमिका की जांच होनी चाहिए…

द हिंदू’ समूह के चेयरमैन और पत्रकार एन. राम ने राफेल डील पर की गई स्टोरी का बचाव किया है। रफाल सौदे को लेकर ‘द हिंदू’अख़बार की विशेष पड़ताल पर मचे सियासी घमासान पर रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी असहमति नोट पर प्रतिक्रिया जताते हुए शुक्रवार को एन राम ने कहा कि समूह द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट अपने आप में पूरी है। इसमें मनोहर पर्रिकर की भूमिका क्या थी और क्या नहीं, इस पर कुछ नहीं कहा गया है, इसमें जांच होनी चाहिए।

रक्षा मंत्री की सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं 

एन राम ने कहा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन के उस बयान पर ये टिप्पणी की है, जिसमें रक्षा मंत्री ने ‘द हिंदू’ में प्रकाशित रिपोर्ट को प्रायोजित बताया था। रक्षा मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी इस मुद्दे को उठाकर गड़े मुर्दे उठाने की कोशिश कर रहे हैं। एन राम ने कहा कि उन्हें मुझे रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन के सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता परेशान हो गए हैं और इसे ढ़कने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें सीतारमन को सलाह दी कि वो खुद पर इसका भार ना लें। क्योंकि जब ये सौदा हुआ तब वो इसमें शामिल नहीं थी।

निर्मला सीतारमन ने रिपोर्ट को बताया अधूरा

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को अधूरा बताते हुए कहा मंत्रालय का 24 नबंवर 2015 का पत्र छापा है। लेकिन उसके बाद इस पर मनोहर पर्रिकर ने क्या जवाब दिया ये नहीं छापा। सीतारमन ने ‘द हिंदू’ और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बोला। राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में पीएमओ की राफेल डील मामले में फ्रांस सरकार के साथसमानांतर बात चल रही थी, जबकि रक्षा मंत्रालय इस सौदे की बातचीत कर रहा था। राहुल गांधी ने द हिंदू अख़बार की रिपोर्ट का ज़िक़्र करते हुए कहा कि अख़बार ने पीएम मोदी की पोल खोल दी। ख़ुद रक्षा मंत्रालय ने पीएमओ की दखलअंदाज़ी का विरोध भी किया था।

मनोहर पर्रिकर की भूमिका की जांच हो

एन राम ने कहा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की इस मामले में अलग से जांच की जानी है, चाहे उस पर उनसे सलाह ली गई हो। राम ने स्पष्ट किया कि वह उनके संपर्क में हैं, लेकिन वह इस मुद्दे पर कोई रुख नहीं अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्रिकर ने नहीं बताया कि वो उसकी मॉनटरिंग कर रहे थे। लेकिन ये दिखता है कि पीएमओ और फ्रांस प्रेस ऑफिस इसकी मॉनटरिंग कर रहे थे। ये निगरानी नहीं है, लेकिन भारतीय वार्ता टीम के पीछे समानांतर वार्ता आयोजित की गई है। हालांकि पूर्व रक्षा सचिव ने शुक्रवार को कहा कि रक्षा मंत्रालय ने राफेल डील सौदे की कीमत पर आपत्ति नहीं जताई थी।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2015 में पेरिस में इस समझौते का ऐलान किया था. 26 जनवरी 2016 को जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भारत आए थे तब इस समझौते पर दोनों देशों के प्रमुखों के बीच हस्ताक्षर हुए थे।

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