बिलासपुर/ स्वच्छता सर्वेक्षण की रैकिंग में छह पायदान नीचे लुढ़कने से लग रहा है कि बिलासपुर नगर निगम सफाई के नाम 3 करोड़ रुपए से अधिक राशि कागजों में खर्च कर रहा है। भारी-भरकम राशि खर्च करने के बावजूद रैकिंग में सुधार नहीं होने पर निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर नगर निगम ने 9 पायदान की उछालकर साबित कर दिया है कि प्रदेश में सफाई के मामले में उनकी कोई सानी नहीं है।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने बुधवार को स्वच्छता सर्वेक्षण की रैकिंग जारी की है। इसमें एक लाख से अधिक आबादी वाले 4200 शहरों के नाम हैं। स्वच्छता के मामले में बिलासपुर शहर को 28वां स्थान मिला है, जबकि पिछली बार बिलासपुर निगम को 22वां स्थान मिला था। बता दें कि दो माह पहले केंद्रीय मंत्रालय की 10 सदस्यीय टीम स्वच्छता सर्वेक्षण करने के लिए बिलासपुर आई थी। करीब सात दिनों तक टीम ने सर्वे किया। टीम ने सफाई में सुधार के टिप्स भी दिए थे।
कहां खर्च किए जा रहे 3 करोड़
नगर निगम प्रशासन शहर की सफाई तीन तरीके से करा रही है। सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत एनएसडब्ल्यू देल्ही साल्युशन कंपनी को ठेका दिया गया है। सफाई के एवज में इस कंपनी को हर माह करीब सवा करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। इसी तरह से मैकेनाइज्ड और मेनुअल सफाई के नाम पर हर माह एक करोड़ 55 लाख का भुगतान दिल्ली की ठेका कंपनी लायन सर्विसेस को किया जा रहा है। निगम खुद ही अपने कर्मचारियों को नाला-नाली की सफाई करा रहा है। पेमेंट के रूप में हर माह कर्मचारियों को करीब 25 लाख रुपए का भुगतान किया जा रहा है। स्वच्छता रैकिंग में छह पायदान नीचे लुढ़कने से यह साबित हो गया है कि निगम के अधिकारी-कर्मचारी और ठेका कंपनी आपस में मिलीभगत कर कागज में सफाई कर पैसों की बंदरबांट कर रहे हैं।
अंबिकापुर अब दूसरे पायदान पर
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने स्वच्छता सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर को 2 स्थान दिया है। इससे पहले अंबिकापुर को 11वां स्थान मिला था। एक ही साल में 9 पायदान छलांग लगाने से यह साबित हो गया है कि वहां सफाई को गंभीरता से लिया जा रहा है और कागज में पैसे खर्च करने के बजाय धरातल पर काम किया जा रहा है। बिलासपुर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों को अंबिकापुर के अफसरों से सीख लेने की जरूरत है।