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बिलासपुर: पूर्व सांसद रमेश बैस बोले- किसानों का कर्ज माफ करने से प्रदेश का खजाना हुआ खाली…रमन सरकार के मोबाइल क्रांति योजना पर जताया ऐतराज…

बिलासपुर। पूर्व सांसद और भाजपा के कद्दावर नेता रमेश बैस का कहना है कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार द्वारा किसानों का कर्ज माफ करने और 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने से प्रदेश का खजाना खाली हुआ है। चूंकि ये दोनों विषय उनके घोषणा पत्र में शामिल थे। इसलिए उन्हें यह तो ही करना था, लेकिन परिस्थिति भी देखनी थी। उन्होंने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा बांटे गए मोबाइल को भी गलत ठहराया।

पूर्व सांसद बैस शनिवार को अपने परिवार के साथ शादी समारोह में शामिल होने जा रहे थे। वे कुछ देर के लिए छत्तीसगढ़ भवन में रुके हुए थे। इस दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मप्र में जब पटवा सरकार सत्ता में आई थी, तब भी किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया गया था। उस समय परिस्थिति को देखकर उन्होंने तत्काल कर्ज माफ नहीं किया। करीब एक साल बाद सिर्फ 10 हजार रुपए माफ किया गया। छह माह पहले जब विधानसभा चुनाव हुए थे। तब मप्र कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी किसानों कर्जमाफ करने का उल्लेख था, लेकिन उन्होंने तो अधिकतम 2 लाख रुपए का कर्ज माफ किया। यहां छत्तीसगढ़ में किसानों का सारा कर्ज माफ किया जा रहा है। किसानों का कर्ज माफ करना गलत है… संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि यह मैं नहीं कह रहा हूं। परिस्थिति देखनी थी। जब पिता की मौत हो जाती है और बेटा परिवार संभालता है तो वह पहले देखता है कि घर की माली हालत कैसी है।

रमन ने मोबाइल बांट कर गलत किया

कांग्रेसी आरोप लगा रहे हैं कि प्रदेश का खजाना खाली करने में प्रदेश की पूर्व सरकार द्वारा संचार क्रांति योजना के तहत बांटे गए मोबाइल भी एक बड़ा कारण है। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रमन सरकार को मोबाइल नहीं बांटना था। यह गलत हुआ है।

नेता प्रतिपक्ष धरम के बयान पर बोले- घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या…

गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने हाल ही में यहां समीक्षा बैठक ली थी। इस दौरान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा था कि कांग्रेस सरकार की नरवा, गरुवा, घुरुवा और बाड़ी योजना फ्लाप है। इन लोगों ने बिलासपुर को घुरुवा बना दिया है। उनके बयान से क्या आप सहमत हैं, जबकि कांग्रेस को सत्ता में आए मात्र छह माह हुए हैं। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेताओं का काम ही है कि सत्ता पक्ष का विरोध करना। वैसे घोड़ा घास से दोस्ती कर लेगा तो खाएगा क्या। घोड़ा कौन और घास कौन संबंधी सवाल को उन्होंने हंसकर टाल दिया।

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