अंंतरराष्ट्रीय अदालत में भारत की बड़ी जीत हुई है। हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ने बुधवार को भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के फैसले पर रोक लगा दी। कोर्ट ने पाकिस्तान पर कैदियों के साथ व्यवहार संबंधित वियना संधि का उल्लंघन करने का भी गंभीर आरोप लगाते हुए हिदायत दी कि वह सैन्य अदालत के फैसले की गहन समीक्षा एवं पुनर्विचार करे।
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इंटरनेशनल कोर्ट ने गुण-दोष के आधार पर मामले की समीक्षा करते हुए पाकिस्तान से यह भी कहा है कि वह भारत के राजनीयकों को जाधव से मिलने दे और उसके बारे में भारतीय पक्ष को नियमित रूप से जानकारी दे। भारत के लिए निराशाजनक बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय अदालत ने भारत की इस मांग को स्वीकार नहीं किया कि जाधव के खिलाफ सैन्य अदालत के फैसले को सीधे-सीधे खारिज किया जाए तथा उसे रिहा कर सुरक्षित भारत वापस भेजा जाए।
अंतरराष्ट्रीय अदालत की 16 सदस्यीय पीठ ने 15-1 के फैसले से जाधव की सजा पर रोक लगाई तथा पूरे मामले पर पुनर्विचार की हिदायत दी। कोर्ट ने पाकिस्तान की सैन्य अदालत के फैसले के बारे में सुनवाई करने के अपने अधिकार क्षेत्र को रेखांकित किया तथा कहा कि भारत को इस मामले में कोर्ट से गुहार लगाने का अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष न्यायालय ने पाकिस्तान में मौत की सजा पाए भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में सार्वजनिक सुनवाई दो चरणों में 18 से 21 फरवरी के बीच की थी। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला आज तक के लिए सुरक्षित रखा था।
कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान भारत का जासूस मानता है और वहां की सैन्य अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई है। भारत की सोच इसके विपरीत है और उसने जाधव को फांसी दिए जाने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत में अपील की थी। मई 2017 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जाधव को फांसी देने पर उसका अंतिम फैसला आने तक रोक लगा दी थी। भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त कुलभूषण को पाकिस्तान ने मार्च 2016 में गिरफ्तार किया था।
पाकिस्तान का कहना है कि कुलभूषण जाधव पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में भारतीय विदेश खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी कर रहा था। जबकि भारत का कहना है कि जाधव का पाकिस्तान ने ईरान से अपहरण किया है। 10 अप्रैल 2017 को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को मौत की सजा सुनाई थी।