कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन की बात करने वाली केंद्र सरकार लोगों के सूचना के अधिकार के तहत मिले अधिकारों को छीन रही है और इस कानून को खत्म करने का प्रयास कर रही है।
लोकसभा में कांग्रेस के शशि थरूर ने सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए आरोप लगाया कि सरकार इस कानून में संशोधन विधेयक नहीं बल्कि इस कानून को ही खत्म करने वाला विधेयक लेकर आयी है।
इस कानून की पूरी दुनिया में प्रशंसा हो रही है और देश के नागरिकों के मिले इस अधिकार से आम आदमी की सत्ता में भागीदारी बढी है लेकिन यह सरकार इसे खत्म कर रही है। उन्होंने कहा कि संसद की स्थायी समिति ने इस कानून को और मजबूत करने की बात की थी लेकिन सरकार ने उसकी बात पर ध्यान देने की बजाए इस कानून को कमजोर करने का काम किया है।
वर्ष 2014 में नियुक्तियां ही नहीं की गयी और जब उच्चतम न्यायालय ने हस्तक्षेप किया तो नियुक्ति की गयी। सरकार विधेयक पर संसदीय समीक्षा नहीं करना चाहती है बल्कि इसे जल्दबाजी में पारित करने के पक्ष में है।
थरूर ने कहा कि इस विधेयक को पारित करके सरकार अपने प्रचंड बहुमत का उचित इस्तेमाल नहीं कर रही है। उसके मिले प्रचंड बहुमत का ही परिणाम है कि आम आदमी के सूचना पाने के अधिकारों को कुचला जा रहा है और इसके लिए इस विधेयक को लाया गया है।
इस विधेयक के संसद में लाने से साफ हो गया है कि सरकार आम आदमी को उसका अधिकार नहीं देना चाहती है। उन्होंने सूचना के अधिकार के कानून को सरकार के कामकाज में पारदर्शिता लाने का तरीका बताया और कहा कि यह शासन में जनता की भागीदारी और सरकार की जिम्मेदारी तय करने वाला कानून है इसलिए सरकार को इस विधेयक को वापस लेना चाहिए।