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सुषमा स्वराज 25 साल की उम्र में बन गई थीं कैबिनेट मंत्री…रही प्रधानमंत्री पद की दावेदार, पढ़ें शानदार सियासी सफर…

सोशल मीडिया के जरिए के जरिए लोगों की मदद के लिए मशहूर पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से पूरा देश शोक में डूब गया है। उन्होंने राजनीति में जिस तरह से सफलता के शिखर चूमें हैं वैसे बहुत कम लोग ही होते हैं। वह सबसे कम उम्र में मंत्री बनने के साथ ही दिल्ली की पहली मुख्यमंत्री भी दीं। पढ़िए उनके अब तक के शानदार

सियासी सफर के बारे में –

1977 में पहली बार चुनी गईं विधायक-

सुषमा स्वराज के राजनीतिक करियर की शुरुआत तो आपातकाल के दौरान हो चुकी थी। वह पूरी तरह से राजनीति में तब आईं जब 1977 में वह हरियाणा से विधायक चुनी गईं। उस वक्त वह ताऊ चौधरी देवी लाल की सरकार में श्रम मंत्री बनीं थीं जो सबसे कम उम्र की मंत्री होने का रिकॉर्ड था। वह 25 साल की उम्र में ही मंत्री बन गई थीं। इसके बाद उनके नाम हरियाणा भाजपा की सबसे कम उम्र की अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड भी है।

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1990 में पहली बार संसद पहुंचीं-

साल 1990 में सुषमा स्वराज पहली बार सांसद बनीं। गौरतलब है कि वह 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री रहीं।

इसके बाद साल 1998 में उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई और वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि दिल्ली में उनकी सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई थी।

सोनिया गांधी के खिलाफ मैदान पर

1999 में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी से चुनावी रण में उतारा गया। रणनीति थी विदेश बहू के सामने भारतीय बेटी को उतारना। यहां सुषमा स्वराज ने चुनाव नहीं जीत पाईं लेकिन उनके आत्मविश्वास और परिश्रम में कोई कमी नहीं हुई। इसके कुछ समय बाद वह राज्य सभा के लिए सांसद चुनी गईं और 2000 में बाजपेयी सरकार में एक बार फिर सूचना एवं प्रसारण मंत्री की जिम्मेदारी मिली।

2009 में बनी भाजपा की प्रधानमंत्री पद की दावेदार-

2004 में भाजपा की सरकर चली गई लेकिन इस दौरान सुषमा स्वराज का कद राष्ट्रीय नेताओं में काफी बढ़ चुका था। 2009 के चुनाव में वह भाजपा की प्रधानमंत्री पद की दावेदार बनीं। लेकिन कांग्रेस के दोबारा सत्ता में आने से वह नेता प्रतिपक्ष बनीं। 2014 तक नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद 2014 में जब एनडीए की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ आई तो सुषमा स्वराज विदेश मंत्री बनीं। बतौर विदेशमंत्री उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ऐसे किया कि उन्हें अब तक का सबसे सफल विदेश मंत्री माना जाता है।

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