देश में बड़े पैमाने पर गैर सरकारी संगठन यानि एनजीओ मौजूद हैं। कुछ संगठन सरकार से फंड के तौर पर मोटी रकम हासिल करते हैं। सरकार उन्हें सामाजिक अथवा कल्याणकारी कामों के लिए फंड देती है। ऐसे एनजीओ अब आरटीआई कानून के दायरे में आएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में इस बात का उल्लेख किया है। देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि नागरिकों को यह जानने का हक है कि उनके पैसों का गलत उपयोग तो नहीं किया जा रहा है।
जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरूद्ध बोस ने अपने आदेश में कहा है कि हमें ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि देश के नागरिकों को यह पूछने का अधिकार नहीं है कि उसके द्वारा दिए गए पैसों का इस्तेमाल कहां हो रहा है। नागरिकों का यह जानने का हक है कि किसी एनजीओ या संगठन को जिन उद्देश्यों के लिए सरकार की ओर से जो फंड दिया जा रहा है, उनका इस्तेमाल उसी उद्देश्य केलिए हो रहा है या नहीं? शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि वैसे संगठन या एनजीओ जो सरकार से बड़ी राशि बतौर फंड प्राप्त करते हैं, वह सूचना के अधिकार कानून की धारा-दो एच) के तहत %पब्लिक अथॉरिटी’ की श्रेणी में आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश कुछ कॉलेज और संगठनों द्वारा चलाए जाने वाले कॉलेजों द्वारा दायर अपील पर सुनावाई के दौरान दिया।