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छत्तीसगढ़

आटोमोबाइल सेक्टर के लिए संजीवनी साबित हुआ भूपेश सरकार का कर्जमाफी और 2500 रुपए में धान खरीदी का फैसला

रायपुर: त्योहारी सीजन में छत्तीसगढ़ के ऑटोमोबाइल सेक्टर में ताबड़तोड़ कारोबार हुआ है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिजनेस के नाम पर छत्तीसगढ़ पहले पायदान पर है। बावजूद इसके की पूरे देश का ऑटोमोबाइल सेक्टर मंदी के दौर से गुजर रहा है। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश के ऑटोमोबाइल सेक्टर में इस ताबड़तोड़ कारोबार का श्रेय भूपेश सरकार के बड़े फैसलों को जाता है।

दरसअल सीएम भूपेश बघेल ने सत्ता में आते ही प्रदेश के किसानों को कर्ज माफी और 2500 रूपए प्रति क्विंटल में धान खरीदने का फैसला लिया था। भूपेश सरकार की यह घोषणा ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए संजीवनी की तरह साबित हुई। इसकी गवाही न केवल उस दौर में बाइक के पीछे लिखी कर्जमाफी से प्राप्त जैसे स्लोगन देते हैं बल्कि आरटीओ, दुर्ग के आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं।

आंकड़ों पर गौर किया जाए तो वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में आटोमोबाइल सेक्टर में खरीदी का अंतर देखे तो कर्जमाफी और 2500 रुपए में धान खरीदी से आया अंतर स्पष्ट नजर आता है। वर्ष 2018 में जनवरी से जून तक जिले में 18 हजार 272 वाहन बिके थे जबकि इसी अवधि में वर्ष 2019 में 21034 वाहन बिके। यह लगभग 15 प्रतिशत का फर्क है जो दुर्ग जिले में आटोमोबाइल सेक्टर में दर्ज किया गया जबकि देश के दूसरे राज्यों में बिक्री के आंकड़े सामान्यतः अच्छे नहीं थे। वर्ष 2018 में जनवरी से जून तक छह महीनों में 16 हजार 554 मोटरसाइकल-स्कूटर बिके जबकि वर्ष 2019 में लगभग 20 हजार 95 मोटरसाइकिल-स्कूटर बिके। ट्रैक्टर की बिक्री में भी यह अंतर लक्षित किया जा सकता है। वर्ष 2018 में जनवरी से जून तक की अवधि में 397 ट्रैक्टर बिके जबकि वर्ष 2019 में इस अवधि में 689 ट्रैक्टर बिके। ट्रेलर की बात करें तो 146 ट्रेलर वर्ष 2018 में जनवरी से जून माह की अवधि में बिके जबकि इसी अवधि में वर्ष 2019 में 169 ट्रेलर बिके।

 

कैसे तेजी से चढ़ता गया कर्जमाफी के बाद बिक्री का ग्राफ
जनवरी माह से इसकी शुरूआत करें। आरटीओ अधिकारी अतुल विश्वकर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 के जनवरी माह में जब मार्केट देश भर में अपेक्षाकृत अच्छी स्थिति में था तब दुर्ग जिले में 3050 मोटरसाइकल-स्कूटर बिके। वहीं इस साल जनवरी माह में 3884 मोटरसाइकिल बिके। जहां वर्ष 2018 में इस अवधि में 91 ट्रैक्टर बिके थे, वहीं वर्ष 2019 में 159 ट्रैक्टर बिके। फरवरी 2018 में जहां 72 ट्रैक्टर बिके थे, वहीं फरवरी 2019 में 122 ट्रैक्टर बिके। वर्ष 2018 में फरवरी में जहां 2592 मोटरसाइकल-स्कूटर बिके थे, वहीं वर्ष 2019 के फरवरी माह में यह संख्या 3685 हो गई। मार्च 2018 में 74 टैªक्टर और 2805 मोटर साइकल-स्कूटर बिके। वहीं मार्च 2019 में 116 ट्रैक्टर और 3503 मोटर साइकल-स्कूटर बिके। इसी तरह अप्रैल 2018 में जहां केवल 35 ट्रैक्टर बिके थे, वहीं अप्रैल 2019 में 108 ट्रैक्टर बिके। अप्रैल 2018 में जहां 2667 मोटर साइकल-स्कूटर बिके थे, वहीं अप्रैल 2019 में 3373 मोटर साइकल-स्कूटर बिके। इसी तरह मई 2018 में जहां 49 ट्रैक्टर और 2695 मोटर साइकल-स्कूटर बिके, वहीं मई 2019 में 107 ट्रैक्टर और 2948 मोटर साइकल-स्कूटर बिके।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती से पुख्ता होती है शहरी अर्थव्यवस्था
कर्जमाफी और धानखरीदी के 2500 रुपए देने से किसानों के पास पूंजी आई। अर्थव्यवस्था की गति तेजी से बढ़ने के पीछे उत्पादकों को मिलने वाला संतोषजनक प्रतिफल बड़ा कारण होता है। इससे शहरी अर्थव्यवस्था भी मजबूत होती है और अर्थव्यवस्था में मंदी का चक्र पूरी तरह से टूट जाता है। छत्तीसगढ़ शासन की नीतियों ने ऐसे समय में आटोमोबाइल बाजार को संकट से बचाया जब देश भर में कमजोर मांग के चलते यह सेक्टर टूटन का शिकार हो रहा था।

ट्रैक्टर, ट्रेलर की बिक्री बढ़ी, आधुनिक खेती की ओर किसानों को बढ़ाने का संकल्प हो रहा पूरा
इस साल ट्रैक्टर, ट्रेलर काफी संख्या में बिके। यह खेती-किसानी को आधुनिक दिशा में बढ़ाने के राज्य सरकार के संकल्प के अनुरूप है। ट्रैक्टर-ट्रेलर के साथ ही कृषि यंत्रों की खरीदारी की दिशा में बाजार गुलजार हुआ।

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