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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: जिन किसानों को टोकन दिए गए हैं उनका परीक्षण कर धान खरीदी की जाएगी: भूपेश बघेल…सचिव स्तर के अधिकारी करेंगे परीक्षण…

रायपुर।

छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन पारित किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चर्चा का जवाब देते हुए एक बार दोहराया कि किसानों को धान की प्रति क्विंटल 2500 रूपए कीमत दी जाएगी। बघेल ने कहा कि जिन किसानों को टोकन दिए गए हैं उनका धान खरीदा जाएगा। हर जिले में सचिव स्तर के अधिकारी जाकर परीक्षण करेंगे और उसके बाद धान खरीदी की जाएगी।

बघेल ने बताया कि बीजापुर जिले में अब तक 48 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई, लेकिन खरीदी के अंतिम दिन 16 हजार मीट्रिक टन धान समितियों में आया। राज्य सरकार के संचित निधि का उपयोग किसानों के हित में हो बिचौलियों या दलालों के नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार धान खरीदी के लिए बैंकों के साथ बाजार से भी ऋण लेगी लेकिन अपने अन्नदाता किसानों को दुखी नहीं होने देगी। चर्चा का जवाब देते हुए बघेल ने कहा कि राज्यपाल ने राज्य शासन की नीतियों, नवाचारों, उपलब्धियों और जनजीवन पर पड़ने वाले उनके असर का अपने अभिभाषण में उल्लेख किया। साथ ही सदन की परंपराओं और कार्यप्रणाली की भी उन्होंने सराहना की। इसके लिए पूरा सदन उनके प्रति कृतज्ञ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में उपलब्ध अतिरिक्त धान से बायोएथेनॉल के उत्पादन संयंत्र की स्थापना हेतु अनुमति प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार से अनेक बार अनुरोध कर चुकी है। प्रधानमंत्री को पत्र लिखे गए, केंद्रीय कृषि मंत्री, केन्द्रीय खाद्य मंत्री और केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री से मुलाकात कर अनुरोध किया गया, लेकिन एक वर्ष के लिए अनुमति प्रदान करने की बात कही गई है। यदि कोई निवेशक एक से डेढ़ सौ करोड़ रुपए का निवेश करके एक वर्ष के लिए संयंत्र लगाता है, तो यह उसके लिए लाभप्रद नहीं होगा। यदि इथेनॉल उत्पादन की अनुमति मिलती है तो किसानों को बरसात के साथ-साथ गर्मियों के धान की भी अच्छी कीमत मिलेगी, पेट्रोलियम ईंधन पर खर्च होने वाला पेट्रो डॉलर की बचत होगी और एफसीआई पर भण्डारण का दबाव भी कम होगा।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रदेश में किसानों से रिकॉर्ड 83 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर की गई है। वर्ष 2018-19 में जितने किसानों ने पंजीयन कराया था उसका 92.54 प्रतिशत किसानों ने धान समर्थन मूल्य पर बेचा। इसी तरह वर्ष 2019-20 में 93.11 प्रतिशत किसानों ने धान बेचा जबकि पिछली सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2015-16 में 83 प्रतिशत किसानों ने और वर्ष 2017-18 में केवल 76 प्रतिशत किसानों ने धान बेचा।

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