रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को वित्तीय वर्ष 2020-21 के आय व्यय पर चर्चा करते हुए पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने भूपेश सरकार द्वारा पेश किये गए बजट को निराशाजनक बताया। रमन सिंह ने कहा कि सरकार को आर्थिक संशाधन बढ़ाना चाहिए। प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी होनी चाहिए। यदि इसमें गिरावट आती है तो यह है कि सरकार कर्ज के बोझ से दबने वाली सरकार है। 14 महीने के कार्यकाल में पूंजीगत व्यय की स्थिति 14 प्रतिशत रह गई है, पहले यह 17 प्रतिशत पर थी। पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि पूंजीगत व्यय फिसल क्यों रही है यह पैसे जा कहा रहा हैं? आज छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर डालने की स्थिति में आ गई हैं। राजस्व घाटा शून्य प्रतिशत में हमने लाया था, लेकिन 18-19 में कांग्रेस के सरकार संभालते ही वित्तीय स्थिति गड़बड़ाने लगी।
रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसान इस प्रकार प्रताड़ित हो रहे थे कि उनके घर में छपे पड़ रहे थे। किसान तब चैन से सो पाएगा जब राज्य सरकार किसानों का एक-एक दाना धान खरीदने की घोषणा कर दे। मक्का चना के संबंध में वादा राज्य सरकार को याद नहीं रहा। घर-घर रोजगार हर घर रोजगार और ढाई हजार रुपये की घोषणा के क्रियान्वयन का इंतेजार करते युवा वर्ग खड़ा है। पेंशन की घोषणा की बातें की गई थी वह इस बजट में नहीं है। शराब बंदी की बात बजट में नहीं आई। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कांग्रेस सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि बजट की उपलब्धि गढ़ कलेवा खोलना नहीं है। ठेठरी खुरमी खाओ और हरी के नाम गाओ। 28 जिलों में केवल गढ़ कलेवा खोल देना विकास नहीं है। उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग के बजट से दुःखी हुआ। लेकिन इस बजट में स्कूल नहीं मिला।
रमन सिंह ने कांग्रेस और भाजपा शासन काल के विकास कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि 30000 किमी सड़क से जिसे 61000 किलोमीटर सड़क भाजपा सरकार ने बनाया। एमबीबीएस की सीट को 11 से 1000 किया गया और 2 मेडिकल कॉलेज से 6 मेडिकल कॉलेज बढ़ाया गया। भाजपा के शासन काल में इंडिया का सबसे बेहतर एजुकेशन हब दंतेवाड़ा में बनाया गया है। कृषि के क्षेत्र में काफी योजनाएं लाई थी लेकिन अब सच्चाई कुछ और ही दिखता है। 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान 16.81% है जो भाजपा सरकार में 2017-18 में 22 प्रतिशत था, 5.35 प्रतिशत की गिरावट आई। जीडीपी में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान 2017-18 में 47.37 प्रतिशत था, जो 2018-19 में 40.19 प्रतिशत हो गया।इसके बाद अर्थव्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है।
राज्य सरकार द्वारा कर्ज लिए जाने पर उन्होंने कहा कि कर्ज लेने की कोई सीमा है या राज्य सरकार कर्ज के बोझ से छत्तीसगढ़ को दबा देगी। 14 माह में 16674 करोड़ की देनदारी बढ़ी है (सरकारी आंकड़े), असल आंकड़े 17700 करोड़ से अधिक है। 83349 करोड़ कर्ज अब तक राज्य सरकार ले चुकी है।