अयोध्या में पांच अगस्त को राम जन्मभूमि पर होने वाले भूमि पूजन और कार्यारंभ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित होंगे, लेकिन इस आंदोलन से जुड़े रहे अधिकांश प्रमुख नेता मौजूद नहीं होंगे। आंदोलन के नायकों में शुमार किए जाने वाले रामचंद्र परमहंस व अशोक सिंघल अब इस दुनिया में नहीं है, जबकि लालकृष्ण आडवाणी और डॉ मुरली मनोहर जोशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही जुड़ेंगे।
अयोध्या आंदोलन के साढ़े तीन दशक के समय खंड में एक पूरी पीढ़ी बदल गई है। 1990 और 1992 के आंदोलन के चरम के सालों में नेता नेतृत्व करते थे उनमें से कई अब इस दुनिया में नहीं है और कुछ आने में असमर्थ हैं। आंदोलन के राजनीतिक नायक लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी अस्वस्थता के चलते वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे।
आंदोलन के अन्य प्रमुख चेहरों में उमा भारती, विनय कटियार, कल्याण सिंह, साध्वी ऋतंभरा, स्वामी चिन्मयानंद, राम विलास वेदांती इस मौके पर मौजूद रह सकते हैं, लेकिन कोरोना काल के प्रोटोकॉल में उनकी भूमिका उपस्थिति तक सीमित होगी।
आंदोलन के दौरान गोरक्ष पीठ के प्रमुख महंत अवैद्यनाथ की भूमिका अहम थी उनके बाद अब उनके शिष्य और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य कार्यक्रम में शामिल होंगे। रामचंद्र परमहंस, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, राजमाता विजयाराजे सिंधिया और बाल ठाकरे जैसे प्रमुख नेता अब इस दुनिया में नहीं है। समय के साथ बदलाव में पीढ़ी ही नहीं बदली और भी बहुत कुछ बदल गया है।
उस समय के आंदोलन के जो प्रमुख चेहरे अभी भी हैं। हालांकि वह अब मुख्य भूमिका से गायब है। विनय कटियार, स्वामी चिन्मयानंद, राम विलास वेदांती जैसे नेता राजनीतिक रूप से भी हाशिए पर हैं।