Friday, April 18, 2025
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अब भ्रमित करने वाले विज्ञापन प्रसारण करने वालों की खैर नहीं! इन पर सरकार कसने जा रही है शिकंजा…जानेें…गाइडलाइन की मुख्य बातें…

सूचना एवं तकनीक के युग में विज्ञापन हमारे जीवन के अभिन्न अंग बनते जा रहे हैं, इसके प्रभाव से बच पाना हम सभी के लिए काफी मुश्किल सा हो गया है। आज समाज का हर तबका चाहे बच्चे हों या फिर बुजुर्ग, कामकाजी महिलाएं हों या गृहणी। सभी पर विज्ञापनों का प्रभाव देखा जा सकता है। लेकिन अब बच्चों को टारगेट करने वाले विज्ञापनों पर सरकार शिकंजा कसने जा रही है। कंज्यूमर अफेयर मंत्रालय ने बच्चों को भ्रमित करने वाले विज्ञापनों पर ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी कर 18 सितंबर तक सभी की राय मांगी है। 1 अक्टूबर 2020 से यह गाइडलाइंस लागू हो सकती है। आपको बता दें कि विज्ञापनों के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइन को सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) ने बनाया है। इस अथॉरिटी की स्थापना कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत हुई थी।

बच्चों कोटारगेट बनाने वाले विज्ञापनों पर होगी सख्त कार्रवाई!

सूत्रों के मुताबिक कंपनियां बच्चों को टारगेट करते अब विज्ञापन नहीं बना पाएंगी। बच्चों को खतरनाक स्टंट करता हुआ नहीं दिखाया जा सकता है। कंजूमर मंत्रालय ने ड्राफ्ट जारी किया है। 18 सितंबर तक सब की राय मांगी है। गलत जानकारी देने वाले विज्ञापनों पर शिकंजा कसेगा। अगर बच्चे वह उत्पाद नहीं खरीदेंगे तो उनका मजाक नहीं उड़ाया जा सकता है। बच्चों को शराब और तंबाकू के विज्ञापनों में नहीं दिखाया जा सकता है। उत्पाद के तत्वों को बढ़ा चढ़ाकर के नहीं दिखाएंगे। बच्चों को लेकर कोई चैरिटेबल अपील नहीं कर सकेंगे। सेलिब्रिटी उत्पाद का समर्थन करने से जानकारी उसकी जानकारी होनी चाहिए। नहीं पढ़े जाने वाला विज्ञापन गुमराह करने वाले विज्ञापन माना जाएगा।

गाइडलाइन की मुख्य बातें-

-विज्ञापन में डिस्क्लेमर सामान्य आईसाइट वाले लोगों को एक ठीक दूरी और एक ठीक स्पीड से पढ़ने पर साफ दिखना चाहिए।

-डिस्क्लेमर विज्ञापन में किए गए दावे की ‘भाषा में’ ही होना चाहिए और फॉन्ट भी दावे वाला ही इस्तेमाल हो। अगर दावा वॉइस ओवर में किया गया है तो डिस्क्लेमर भी वॉइस ओवर के साथ दिखाया जाना चाहिए।

-डिस्क्लेमर में दावे से संबंधित कोई जरूरी जानकारी छुपाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। ऐसा होने पर विज्ञापन भ्रामक होगा।

-डिस्क्लेमर में विज्ञापन में किए गए किसी भ्रामक दावे को सुधारने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।

-अगर कंज्यूमर को खरीदारी के समय प्रोडक्ट या सर्विस की कीमत के अलावा डिलीवरी के दौरान कुछ पैसा देना है, तो विज्ञापन में प्रोडक्ट या सर्विस को ‘फ्री’ या ‘बिना किसी चार्ज’ के नहीं बता सकते।

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